10-12-2024 : वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षान्त समारोह में मा. राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इस आठवें दीक्षांत समारोह में आप सभी जोश और उत्साह से भरे युवाओं के बीच आकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है।
आप सौभाग्यशाली है कि आप उस विश्वविद्यालय में अध्ययन और अध्यापन कर रहें हैं, जिसके आदर्श वीर माधो सिंह भण्डारी जैसे ऐतिहासिक पुरुष हैं, जो उत्तराखण्ड के इतिहास में एक महान योद्धा और एक बड़े इंजीनियर के रूप में जाने जाते हैं। उत्तराखण्ड के लोक गीतों और लोक कथाओं में उनकी वीरता, साहस, दृढ़ इच्छा शक्ति, परिश्रम, पराक्रम, परोपकार, बलिदान और तकनीकी कुशलता का यशगान किया जाता है।
हमारे असंख्य महापुरुषों ने हर एक युग में राष्ट्र, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए अनगिनत बलिदान दिए हैं, वीर माधो सिंह भण्डारी भी उन्हीं वीर योद्धाओं में से एक हैं। अपने पराक्रम और तकनीकी कुशलता से उन्होंने पहाड़ों और चट्टानों को चीर कर मलेथा की गूल का निर्माण कर अपने गांव में पानी पहुंचाने का कार्य किया।मैं इस अवसर पर, हम सभी के प्रेरणास्रोत वीर माधो सिंह भण्डारी जी को भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
विश्वविद्यालयों में दीक्षांत की परंपरा बहुत पुरानी है। यह भारत के ज्ञान-विज्ञान और अनुसंधान की प्राचीन परंपरा का अभिन्न अंग रहा है। आज का यह दिन विश्वविद्यालय के लिए उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रतिभा और उत्कृष्टता के सम्मान का उत्सव है। औपचारिक शिक्षा के पश्चात दीक्षा दिए जाने से शिक्षार्थियों को मानसिक रुप से तैयार करने और उनकी मनोदशा बदलने में मदद मिलती है।
आज के इस दीक्षांत समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक प्राप्त करने वाले और उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को मैं हृदय की गहराइयों से बधाई देता हूँ और आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए असीम शुभकामनाएं देता हूँ। आप जिन माता-पिता, शिक्षकों के ज्ञान, कौशल और पालन-पोषण से आज इस उपाधि के योग्य साबित हुए, मैं उन सभी को भी बधाई देता हूँ।
मुझे बेहद हर्ष है कि उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा भारत में सुपर कम्प्यूटर के जनक कहे जाने वाले पद्मभूषण डॉ0 विजय भटकर जी को डी0लिट0 तथा खिलौनों से शिक्षा देने वाले ‘‘टॉयमैन ऑफ इण्डिया’’ के रुप में पहचान रखने वाले पद्मश्री अरविन्द गुप्ता जी को डी0एस0सी0 की मानद उपाधियां प्रदान की जा रही हैं। सच में इन्हें उपाधि प्रदान करना मेरे लिए एक बहुत ही सुखद और गौरवशाली क्षण है।
प्यारे बच्चों,
आपको डिग्री और मेडल अर्जित करने के योग्य बनाने में आपके परिश्रम, आपकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता का भी बहुत बड़ा योगदान है। आज से आपके जीवन में नई संभावनाओं के नए द्वार खुल चुके हैं। अब आपके लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का समय आ गया है। भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व आपकी प्रतिभा को नए प्रतिमान देने के लिए प्रतीक्षारत है। आप से मेरी आशा और अपेक्षा है कि आप जिस क्षेत्र में भी जाएं, राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना से कार्य करते हुए समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ अपना योगदान दें।
मुझे प्रसन्नता है कि यह विश्वविद्यालय न्यू टेक्नोलाॅजी और वोकेशनल एजुकेशन में बदलाव करने का प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय परिसर और सम्बद्ध संस्थानों में नए कार्यक्रमों की शुरुआत देखना बहुत उत्साह जनक है। संस्थान द्वारा तकनीकी का प्रयोग कर अपने कार्यों में पारदर्शिता व जवाबदेही लाने का सफल प्रयास सराहनीय है। विगत सत्र से विश्वविद्यालय अंग्रेजी और हिन्दी के साथ ही उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत में भी अपनी उपाधियां अंकित कर रहा है, यह एक अनुकरणीय कार्य है, और आपने ऐसा करके संस्कृत भाषा के प्रति मेरे विजन को एक आयाम दिया है।
विश्वविद्यालय द्वारा अपने परिसर में महिलाओं के लिए राज्य के एकमात्र महिला प्रौद्योगिकी संस्थान कोबनाए रखने के साथ-साथ भौगोलिक रूप से कठिन पर्वतीय जिलों पिथौरागढ़, गोपेश्वर, टिहरी, उत्तरकाशी तथा टनकपुर में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय के कैम्पस संस्थानों की उपस्थिति सराहनीय कार्य है।
भारत की समृद्ध शिक्षा प्रणाली भारत की समृद्धि की वाहक है। विश्वविद्यालय की प्रतिभाशाली युवाओं की मजबूत पीढ़ी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। बदलते समय के साथ शिक्षा का तंत्र भी पूरी तरह से बदल रहा है, इसलिए प्रासंगिक बने रहने के लिए शिक्षकों को भी नवीनतम जानकारी रखने के साथ ही नई तकनीकों, और हो रहे बदलावों को नियमित रूप से जानना और सीखना होगा, ताकि छात्रों को उसके अनुसार तैयार किया जा सके।
प्रिय विद्यार्थियों,
विश्वविद्यालय जीवन से बाहर निकलना, यह शिक्षा का अंत नहीं है। अब आपको प्रोफेसर तो नहीं पढ़ाएंगे, लेकिन अब कदम-कदम पर वास्तविक जीवन ही आपको शिक्षा प्रदान करेगा। अब आपको औपचारिक शिक्षा का उपयोग करते हुए अन-लर्निंग, रिस्किलिंग और अप-स्किलिंग के लिए सक्रिय होना होगा। मैं आपको भगवान बुद्ध के शब्दों ‘अपो दीपो भव’ यानि- ‘अपना प्रकाश स्वयं बनों’, की याद दिलाता हूँ, मुझे विश्वास है कि उक्त प्रेरणादायी शब्द जीवन के इस मोड़ पर आपका मार्गदर्शन करेंगे।
आज ऐसे समय में आप जीवन के वास्तविक कार्य क्षेत्र में जा रहे हैं, जब भारत बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। नया भारत विश्व में अपनी सशक्त भूमिका अदा कर रहा है। दुनिया की नजर में भारत की छवि में उल्लेखनीय बदलाव आया है। आज भारतीय दुनिया भर में उद्योगों, संगठनों और सरकारों में नेतृत्वकारी भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। हमारे युवा अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों, संगठनों एवं विभागों में अपने नेतृत्व का जलवा बिखेर रहे हैं। इसलिए आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा और उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।
वर्तमान समय की मांग के अनुरूप आज हमें, हर एक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचैन, कनेक्टिविटी, क्वांटम कम्प्यूटिंग, मेटावर्स जैसे तकनीकी साधनों को अपनाना होगा, इनके माध्यम से ही हम शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक प्रगति की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ सकते हैं। और इंडस्ट्री 4.0 के साथ इंडस्ट्री 5.0 को भी मूर्त रूप दे सकते हैं।
आज के डिजिटल युग में हम विज्ञान एवं तकनीकी के उपयोग से प्रत्येक क्षण नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे है। परंतु इस विकास यात्रा में प्रकृति के साथ हमारा सामंजस्य बिगड़ता जा रहा है। जिसके दुष्परिणाम जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, संसाधनों की कमी, सामाजिक आर्थिक विषमताओं आदि के माध्यम से सामने दिखने लगे हैं। इनसे निबटने के लिए हमें कारगर कदम उठाने होंगे। इसके लिए उपभोक्तावादी संस्कृति में वस्तुओं की लाइफ साइकिल बढ़ाने और रिसोर्स शेयरिंग पर समग्रता से काम किए जाने की आवश्यकता है।
आज समाज के प्रत्येक व्यक्ति को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास एवं उपयोग के विभिन्न आयामों की जानकारी होना आवश्यक है। वर्तमान डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत का नए-नए तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण हो गया है यह सिस्टम को दक्ष बनाने में काफी मददगार साबित हो रहा है। मैं इस युवा पीढ़ी से आग्रह करता हूँ कि वह इसमें अपने आप को निपुण बनाएं।
आज हर क्षेत्र में डिजिटल हस्तक्षेप बेहद जरूरी हो गया है, चाहे वह शासन, प्रशासन, शिक्षण-अधिगम, लेखा और वित्त प्रबंधन, छात्र प्रबंधन आदि से संबंधित हो आज ज्ञान साझा करने, अपडेट करने और छात्र-छात्राओं की समझ को सर्वाधित करने में, हमें इंटरनेट, स्मार्टफोन, लैपटॉप का अधिक से अधिक सदुपयोग करना होगा।
स्टीव जाॅब ने कहा था-श्प्ददवअंजपवद कपेजपदहनपेीमक इमजूममद ं समंकमत ंदक ं विससवूमतश् अर्थात यह नवाचार ही है जो एक नेता और अनुयायी में अंतर बनाता है। मैं उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर चुके समस्त उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं से अपेक्षा करता हूँ कि वह अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार नेतृत्व के लिए आगे आएंगे और अपने ज्ञान के अभिनव प्रयोग से विकसित भारत, समृद्ध भारत और सर्वश्रेष्ठ भारत के निर्माण में सहयोगी बनेंगे।
साथियों,
एक समय था जब स्टूडेंट्स किसी इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने से पहले सिर्फ प्लेसमेंट को ही प्राथमिकता देते थे। यानी एडमिशन का मतलब डिग्री, और डिग्री का मतलब नौकरी, शिक्षा यहीं तक सीमित हो गई थी। लेकिन, आज का युवा जिंदगी को इसमें बांधना नहीं चाहता। वो कुछ नया करना चाहता है, अपनी लकीर खुद खींचना चाहता है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि हमारे युवाओं के इसी जुनून से देश का भाग्य संवरने वाला है।
आज नए भारत का हमारा युवा हर क्षेत्र में रिस्क टेकर बनकर उभर रहा है। कुछ वर्षों पहले तक देश में गिने-चुने स्टार्टअप्स थे। आज देश में स्टार्टअप्स की संख्या सवा लाख से ज्यादा हो गई है। एक जमाना था जब खेलों को प्रोफेशन के रूप में अपनाने में भी बड़ा रिस्क था, लेकिन आज हमारे छोटे शहरों और गांव के नौजवान भी ये रिस्क उठाकर देश-दुनिया में परचम लहरा रहे हैं। आप सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं का ही उदाहरण लीजिए, आज इस आंदोलन से देश में करीब एक करोड़ लखपति दीदी बन गई हैं।
बीते एक दशक में भारत ने अपनी जीडीपी में करीब 2 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ दिए। 10 सालों में भारत की इकोनॉमी का साइज डबल हो गया है। आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वो दिन दूर नहीं जब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा।
युवा का अर्थ है ऊर्जा। इसका अर्थ है गति, कौशल और पैमाने के साथ काम करने की क्षमता। मैं अमृतकाल की युवा पीढ़ी को याद दिलाना चाहूंगा कि आप भारत के भविष्य के कर्णधार हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस अमृतकाल में आप अपने हाथों से ‘‘नए भारत’’ और ‘‘विकसित भारत’’ के सपनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
एक बार फिर से मैं, इस दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले सभी युवाओं को भावी सफलताओं और सुखमय, स्वस्थ और उज्ज्वल जीवन के लिए शुभकामनाएं और बधाई देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!