09-08-2025 : राजभवन में आयोजित राखी उत्सव के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर, मैं सबसे पहले भारत स्काउट एवं गाइड्स और एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया के सभी बच्चों, प्रशिक्षकों एवं सहयोगियों का इस राजभवन में हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन पर्व की कोटि-कोटि शुभकामनाएं!
आज का दिन केवल राखी बाँधने का या मिठाइयाँ बाँटने का नहीं है, बल्कि यह भारत की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक मूल्यों के उत्सव का दिन है। यह पर्व प्रेम, स्नेह, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का प्रतीक है। यह दिन हमें यह भी स्मरण कराता है कि हमारा समाज एक ऐसा ताना-बाना है जहाँ सभी एक-दूसरे की रक्षा और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
हमारा भारत देश ऐसा है जहाँ हर दिन एक उत्सव है, हर पर्व एक संदेश है। यहाँ के त्योहार न केवल सामाजिक समरसता को बल देते हैं, बल्कि जीवन के हर रंग को नमन करते हैं। दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, ओणम, पोंगल, लोहड़ी, बैसाखी- इन सभी पर्वों की अपनी-अपनी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विशेषताएं हैं, लेकिन सबका उद्देश्य एक ही है- ‘‘समाज को जोड़ना, भावनाओं को बाँटना और मनुष्यता को ऊँचा उठाना।’’
रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है जो सदियों से भाई-बहन के प्रेम की डोर को मजबूत करता आ रहा है। इसका उल्लेख हमें महाभारत काल से लेकर मध्यकालीन भारत के इतिहास तक मिलता है।
जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई पर अपने आँचल से रक्त रोकने के लिए पट्टी बाँधी थी, तभी श्रीकृष्ण ने आजीवन उसकी रक्षा का वचन दिया।
इतिहास में रानी कर्णावती द्वारा मुगल सम्राट हुमायूँ को भेजी गई राखी की कथा भी इस पर्व की महत्ता को दर्शाती है।
रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं है, बल्कि यह नारी सुरक्षा, सम्मान और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी प्रतीक बन चुका है।
उत्तराखण्ड की धरती केवल वीरों की नहीं, बल्कि वीरांगनाओं, प्रतिभाशाली बालिकाओं और कर्मशील महिलाओं की भी भूमि है। यहाँ की बालिकाओं ने शिक्षा, खेल, विज्ञान, संगीत, पर्वतारोहण और रक्षा सेवाओं में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उनकी सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
राज्य की महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों, कृषि, हस्तशिल्प, स्थानीय उद्योग, पारंपरिक जड़ी-बूटी आधारित व्यवसायों के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि ग्राम स्तर पर सामाजिक नेतृत्व भी कर रही हैं। उत्तराखण्ड की महिलाएँ आज ‘‘नारी से शक्ति’’ और ‘‘शक्ति से समृद्धि’’ की दिशा में राज्य को सशक्त बना रही हैं। उनका योगदान विकसित उत्तराखण्ड के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आज का दिन 9 अगस्त, भारतीय इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अवसर ‘‘क्रांति दिवस’’ के रूप में जाना जाता है। 9 अगस्त सन् 1942 में, महात्मा गांधी ने ‘‘करो या मरो’’ का नारा देते हुए अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था।
आज का यह दिन हमें याद दिलाता है कि संघर्ष, बलिदान और आत्मबल से ही हम स्वतंत्र हुए थे। मैं आप सभी बच्चों से कहना चाहता हूँ कि देशभक्ति केवल बंदूक से नहीं होती, बल्कि ज्ञान, सेवा, ईमानदारी और चरित्र से भी होती है। आज हमें एक और क्रांति की आवश्यकता है- शिक्षा, पर्यावरण, नैतिकता और आत्मनिर्भरता की क्रांति।
मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आज इस आयोजन में एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज के बच्चे भाग ले रहे हैं। यह संस्था उन बच्चों के लिए एक आशा की किरण है जो माता-पिता के संरक्षण से वंचित हैं या जिनके जीवन में असुरक्षा की छाया रही है।
एसओएस संस्था ने यह सिद्ध कर दिया है कि ‘‘सिर्फ खून से नहीं, स्नेह, सेवा और संस्कार से भी परिवार बनते हैं।’’ मैं इस संगठन के समर्पण, कार्यशैली और सेवा-भाव की हृदय से सराहना करता हूँ।
भारत स्काउट एवं गाइड्स वह संस्था है जो हमारे युवाओं को अनुशासन, सेवा और नेतृत्व के मार्ग पर चलना सिखाती है। स्काउटिंग न केवल शारीरिक दक्षता देती है, बल्कि यह चरित्र निर्माण, राष्ट्रभक्ति और सहयोग की भावना को भी प्रबल बनाती है।
आप सभी स्काउट्स और गाइड्स को मैं कहूँगा- ष्ठम चतमचंतमकष् का आपका मूल मंत्र आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
प्रिय बच्चों, आप सभी प्रकृति की गोद में रहने वाले उत्तराखण्ड के निवासी हैं। इस सुन्दर भूमि का संरक्षण और संवर्धन करना हमारा नैतिक दायित्व है।
हाल ही में उत्तरकाशी जिले के धराली एवं हर्षिल क्षेत्र में आई आपदा अत्यंत दुःखद है। राज्य प्रशासन द्वारा राहत एवं पुनर्वास के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। हमें प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और जलवायु परिवर्तन की चुनौती को समझना होगा। इस भीषण घटना में जिन लोगों की मृत्यु हुई, मैं उन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।
प्यारे बच्चों,
आप भारत के भविष्य नहीं- वर्तमान भी हैं। आपमें अपार संभावनाएँ, ऊर्जा और नवाचार की शक्ति है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मैं आपको कुछ सुझाव देना चाहता हूँ-
स्वप्न देखो, लेकिन उसे साकार करने की योजना भी बनाओ। नैतिक मूल्यों को कभी न खोओ। ईमानदारी, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा ही असली पूँजी है। अभ्यास से कभी न घबराओ- प्रैक्टिस मेक्स परफेक्ट। अपने माता-पिता, शिक्षकों और समाज का हमेशा सम्मान करो। पढ़ाई के साथ-साथ खेल, योग, सेवा और रचनात्मक कार्यों में भी अवश्य भाग लो। निश्चित ही ये सभी आपकी सफलता का आधार बनेंगे।
मैं इस उत्सव के माध्यम से, यहाँ उपस्थित हर बालक और बालिका को उनके उज्ज्वल, समृद्ध और आत्मनिर्भर भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।
आपका जीवन ज्ञान, करुणा, संकल्प और सेवा से परिपूर्ण हो- इसी कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!