04-01-2025 : उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का दीक्षांत संबोधन
जय हिन्द!
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह में उपस्थित महानुभाव! विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 ओम प्रकाश सिंह नेगी जी, मानद उपाधि से विभूषित होने वाले प्रो0 हेम चन्द्र जी व अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, कार्यपरिषद् व विद्या परिषद् के सम्मानित सदस्यगण, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारीगण, मीडिया के साथियों एवं प्रिय शिक्षार्थियों! शिक्षा के इस पावन उत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि आज मैं उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के इस गरिमामयी दीक्षांत समारोह में आप सबके बीच उपस्थित हूँ। यह केवल एक दीक्षांत कार्यक्रम ही नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, परिश्रम और साधना के फलस्वरूप प्राप्त आप सभी की उपलब्धियों का उत्सव है।
आज के इस नवम दीक्षांत समारोह में 20 शिक्षार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक दिए गए हैं। साथ ही 02 शिक्षार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक एवं 03 को प्रायोजित स्वर्ण पदक प्रदान किये गए हैं। विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षिक सत्र 2023-24 के विभिन्नशाखाओं के 17084 शिक्षार्थियों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान की गई हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा 13 छात्रों को पी0एच0डी0 उपाधि प्रदान की गई है। मैं आप सभी उपाधिधारकों, शिक्षार्थियों को बधाई देता हूँ।
प्रिय विद्यार्थियों,
आज आप सभी ने अपने शैक्षिक जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। इस सफलता के लिए मैं आप सभी को बधाई देता हूँ। यह केवल आपकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के भविष्य को सशक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
शिक्षा केवल ज्ञान और जानकारियों का संचय नहीं है, यह एक आंतरिक जागरूकता, चरित्र निर्माण और मानवीय मूल्यों का पोषण भी है। शिक्षा वह दीपक है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर समाज को प्रकाशमान करता है।शिक्षा एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। जीवन में सीखने की आदत एक शिक्षार्थी के भीतर हमेशा होनी चाहिए। संसार के बड़े वैज्ञानिकों में ;प्ददवअंजपवद और त्मेमंतबीद्ध की प्रवृत्ति को हम सहज ही देख सकते हैं। संसार के महापुरुषों के जीवन से आपको भी प्रेरणा लेनी चाहिए। फिर चाहे वैज्ञानिक हों या समाज सुधारक हों या संत। ये सभी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहे हैं।
साथियों,
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय ने अपने सतत प्रयासों से यह सिद्ध किया है कि शिक्षा की सीमाएँ नहीं होती। इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा को ऐसे लोगों तक पहुँचाया है, जो सामाजिक, आर्थिक अथवा भौगोलिक कारणों से औपचारिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने न केवल ज्ञान के दरवाजे खोले हैं, बल्कि अवसरों के नए द्वार भी बनाए हैं। यह विश्वविद्यालय महिलाओं, दिव्यांगजनों, और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए आशा की किरण बनकर उभरा है।
मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता है कि विश्वविद्यालय ने व्यावसायिक, तकनीकी और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया है। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारा भारतवर्ष वेदों, उपनिषदों और महान गुरुओं की धरती रहा है। यह वह भूमि है, जिसने ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ जैसे सिद्धांतों को जन्म दिया। आज भी, हमारे वैज्ञानिक, इंजीनियर, और उद्यमी विश्व मंच पर नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।यह प्रसन्नता का विषय है इस विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में शामिल कर आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन स्थापित किया है। यह न केवल हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करेगा, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करेगा।
विश्वविद्यालय द्वारा दिव्यांगजनों हेतु किए गए प्रयास बेहद प्रशंसनीय हैं। दिव्यांगजनों से संबंधित ड.म्कपाठ्यक्रम के लिये भी विश्वविद्यालय की पहल एक सकारात्मक सोच को प्रदर्शित करता है। विश्वविद्यालय स्वयं(ैॅ।ल्।ड) पोर्टल के माध्यम से भी अनेक कोर्स चला रहा है। मैं इन सभी प्रयासों के लिए विश्वविद्यालय की सराहना करता हूँ।
साथियों,
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में मुझे व समाज को इस विश्वविद्यालय से बहुत आशाएं है। इसी विश्वास को बनाए रखते हुए विश्वविद्यालय ने शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाया है। निकट भविष्य में भी यह विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नए मापदण्ड स्थापित करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
‘शिक्षा आपके द्वार पर’ के कथन को मुक्त विश्वविद्यालय ने मूत्र्त रूप दिया है। उत्तराखण्ड के हर गाँव तक शिक्षा की पहुँच को इस विश्वविद्यालय ने संभव किया है। किफायती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के कारण दूरस्थ शिक्षा पद्धति आज के आम जन के लिए एक आशा की किरण बनकर उभरी है। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड की शिक्षा के लिए और भी आधारभूत कार्य करेगा, यह मुझे विश्वास है।
प्रिय विद्यार्थियों,
स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं के लिए असीम संभावनाओं के द्वार खोले हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप सभी शिक्षार्थी इन अवसरों का अधिकतम लाभ भी उठाएँ।
आप सभी एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जो नवाचार, डिजिटल क्रांति और एआई का है। ज्ञान-विज्ञान व तकनीक के कारण विकास की गति उत्तरोत्तर तीव्र होती जा रही है। ऐसे समय में शिक्षा में बदलाव हों, यह स्वाभाविक ही है। इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूँ, आप सभी नवाचार को अपनाते हुए अपने ज्ञान और कौशल का निरंतर संवर्धन कर समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें।
प्रिय उपाधि धारकों,
समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में सहभागी बनना भी हमारी जिम्मेदारी है। जब तक समाज के हर वर्ग को समान अवसर और विकास का हक नहीं मिलेगा, तब तक राष्ट्र समग्र रूप से प्रगति नहीं कर सकता। यह आवश्यक है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में अपना योगदान दें और अंत्योदय तक विकास की रोशनी पहुंचाएं। आप अपने समर्पण से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के उत्थान के लिए कार्य करके, समाज के सबसे कमजोर वर्गों को विकास की मुख्यधारा में लाएं।
मैं आप सभी से यह भी अपेक्षा करता हूँ कि आप निष्ठा, अनुशासन और ईमानदारी को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाएं। ये मूल्य न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी अपरिहार्य हैं। निष्ठा और ईमानदारी हमारे कार्यों में पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाते हैं, जबकि अनुशासन सफलता की नींव रखता है। इन गुणों के बिना कोई भी समाज या राष्ट्र लंबे समय तक टिक नहीं सकता। आप अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाकर एक आदर्श नागरिक बनने की ओर अग्रसर हों।
प्रिय शिक्षार्थियों!
आप सब इस विश्वविद्यालय के ‘संभाव्य प्रतीक’ हैं। शिक्षा के बाद आपको इस विश्वविद्यालय के जीवंत स्पंदन व चेतना के रूप में देखा जायेगा। इसलिए आप शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े रहेंगे।विश्वविद्यालय के ‘पुरा छात्र प्रकोष्ठ’ से जुड़कर आप इस विश्वविद्यालय की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं। आपको स्मरण रखना होगा कि इस विश्वविद्यालय से आपका नाम आजीवन जुड़ा रहेगा। वास्तव में यह जुड़ाव आपको संवेदित करता रहेगा। आप भविष्य में समाज के उच्च पदों को धारण करेंगे, ऐसे समय में भी यह संस्था आपको आत्मीय लगेगी। आप सभी इस विश्वविद्यालय का नाम देश और दुनिया में रोशन करें, ऐसी मैं कामना करता हूँ।
प्रिय विद्यार्थियों,
आज का यह दीक्षांत समारोह आपकी शैक्षिक यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है। ज्ञान की यह रोशनी आपके जीवन को मार्गदर्शित करती रहे, यही मेरी शुभकामना है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने सपनों को साकार करेंगे, समाज के लिए प्रेरणा बनेंगे, और अपने कार्यों के माध्यम से राष्ट्र के गौरव को बढ़ाएंगे।
मैं विश्वविद्यालय के कुलपति, शिक्षकों और कर्मचारियों को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई देता हूँ और आप सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
जय हिन्द!