02-12-2024 : असम एवं नागालैंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय के सम्बोधन हेतु चर्चा के बिन्दु
जय हिन्द!
आज के इस सुअवसर पर मैं नागालैंड और असम राज्य वासियों को पूरे उत्तराखण्ड की ओर से राज्य स्थपना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
अपना देश विविधताओं से भरा एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण अनेक बोली-भाषा, समृद्ध संस्कृतियों और अनेक धर्मों के ताने-बानों से हुआ है।
हम अपने देश की विविधता में एकता का जश्न मनाएं, देश के सभी राज्यों में सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव हो, हम सभी भारतीयों के आपसी संबंध मजबूत हों, यही तो “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम का उद्देश्य है।
इस प्रकार के आयोजनों से जहां देश की एकता को बल मिलता है, तो वहीं दूसरी ओर भारत की विविधताओं को समझने का हम सभी को मौका भी मिलता है।
विभिन्न राज्यों के लोगों का आपसी एवं सांस्कृतिक मेल-मिलाप बहुत जरूरी है। जहां इससे आपसी रिश्ते मजबूत होंगे इसके साथ ही आपसी समझ और विश्वास भी बढ़ेगा, यही भारत के ताकत की नींव भी है।
देश के प्रत्येक राजभवन में सभी प्रदेशों के स्थापना दिवसों का आयोजन “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की इस अनूठी पहल के लिए आज के इस अवसर पर हम सभी देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हैं।
आज नागालैंड प्रदेश का 62वां स्थापना दिवस है। आज का यह ऐतिहासिक दिन नागालैंड की अद्वितीय, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और विकास को नई दिशा देने के लिए राज्य के लोगों के लंबे संघर्ष और उनके दृढ़ निश्चय को दर्शाता है।
नागालैंड अपनी विशिष्ट पहचान और विविधताओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहाँ के आदिवासी समुदाय, उनकी भाषाएँ, पहनावा, लोक कला, नृत्य और त्योहार भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाला नागालैंड का प्रसिद्ध ष्भ्वतदइपसस थ्मेजपअंसष् हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। यह राज्य अपनी प्राचीन परंपराओं को संजोए रखने के साथ ही आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है।
उत्तराखण्ड और नागालैंड दोनों ही राज्य प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्त्व से संपन्न हैं। उत्तराखण्ड जहां अपने सुंदर और आकर्षित पहाड़ों, मंदिरों और धार्मिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, वहीं नागालैंड अपने जंगलों, हरियाली से पूर्ण इलाकों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए समर्पित है। यह दोनों राज्य अपने-अपने क्षेत्रों में विविधता के प्रतीक हैं, और दोनों की जनता अपने आदिवासी, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं पर गर्व करती है।
वनस्पतियों और जीवों की समृद्धता को देखते हुए नागालैंड को पूरब का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। यह भारत के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक ‘सेवेन सिस्टर्स’ का अभिन्न हिस्सा भी है। लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षियों का घर होने की वजह से नागालैंड को थ्ंसबवद ब्ंचपजंस व िजीम ॅवतसक के रूप में भी जाना जाता है। जैव विविधता से पूर्ण यह राज्य पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम योगदान देता है।
रानी गाइदिन्ल्यू जिन्हें ‘नागालैंड की रानी लक्ष्मीबाई’ के रूप में जाना जाता है, स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय साहस का परिचय देकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि भारतीय नारियां किसी भी क्षेत्र में किसी से भी कम नहीं है।
नागालैंड की कला और हस्तशिल्प, विशेष रूप से यहां के पारंपरिक वस्त्र, शिल्प और मिट्टी के बर्तन वैश्विक बाजार में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं।
आज के इस अवसर पर, मैं उन बलिदानियों को नमन करता हूँ जिनके संघर्षों ने नागालैंड को आज इस गौरवपूर्ण स्थान तक पहुँचाया है। नागालैंड की मेहनतकश जनता ने हमेशा अपने राज्य और राष्ट्र के हित में योगदान दिया है। यहाँ की जनजातियाँ अपनी संस्कृति को जीवित रखते हुए सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी प्रगति की राह पर अग्रसर है।
नागालैंड की सरकार और वहाँ के नागरिकों के आपसी सामंजस्य से राज्य आज सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र होने के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य सहित बुनियादी ढांचे में निरंतर प्रगति के नए आयाम स्थापित कर रहा है। मुझे विश्वास है कि नागालैंड के लोग अपने कठिन परिश्रम से इस गति को निरंतर आगे बढ़ाते रहेंगे।
आज का यह दिन हमें असम की समृद्ध संस्कृति, सांस्कृतिक विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है।
असम जिसे भारत का ‘पूर्वाेत्तर द्वार’ भी कहा जाता है, यह प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही विविधता और प्राकृतिक संपदा से भी पूर्ण है। असम की सांस्कृतिक विविधता इसे खास बनाती है। बिहू का उल्लास, सत्र परंपरा और यहां के लोक संगीत व नृत्य विश्व को यहां की कला और संस्कृति की झलक दिखाते हैं। कामाख्या मंदिर और पवित्र ब्रह्मपुत्र के तटों के कारण असम आध्यात्मिकता का केंद्र भी है, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
हमारी संस्कृति और प्रकृति असम और उत्तराखण्ड के संबंध को प्रगाढ़ बनाती है। उत्तराखण्ड की खूबसूरत वादियाँ जितनी अद्वितीय हैं, असम के चाय के बागान, ब्रह्मपुत्र नदी और हरित वनों की सुंदरता भी उतनी ही मनमोहक है। दोनों ही राज्य पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए विशेष संकल्पित हैं।
जहां एक ओर असम के विभिन्न जनजातीय समूह अपनी परंपराओं, संगीत और कला से राज्य को समृद्ध करते हैं वहीं दूसरी ओर वन्यजीव अभ्यारण्य जैसे काजीरंगा और मानस नेशनल पार्क और ब्रह्मपुत्र नदी पर साहसिक खेलों के लिए असम विख्यात है।
भारत के सबसे बड़े चाय उत्पादक क्षेत्र असम की चाय अपनी गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह न केवल राज्य की अलग पहचान बनाती है बल्कि अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती है। ‘असम सिल्क’ से जाना जाने वाला असम का रेशम विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह रेशम भारतीय शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है।
मैं इस अवसर पर असम के नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ कि वे अपनी सांस्कृतिक पहचान और प्राकृतिक सौंदर्य को सहेजते हुए विकास के नए आयाम स्थापित करते रहें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हम आपके साथ मिलकर राष्ट्रीय एकता और विकास में योगदान देने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
समय और तकनीक ने संपर्क और संचार के मामले में दूरियों को कम कर दिया है, राज्यों की संस्कृतियों का आपस में आदान-प्रदान हो यह भी बहुत जरूरी है, इससे हम एक-दूसरे के निकट आएंगे, एक-दूसरे को समझने का मौका मिलेगा, और राष्ट्रीय एकता की जड़ें और भी मजबूत होंगी।
अंत में आप सभी से मेरा ये अनुरोध है कि हम सभी एक-दूसरे को समझकर देश की एकता, अखंडता और समृद्धि को बनाए रखने लिए अपना योगदान दें।
मैं नागालैंड और असम के स्थापना दिवस की एक बार फिर से सभी नागालैंड और असम वासियों को उत्तराखण्ड की समस्त जनता की ओर से बधाई देता हूँ और आपकी निरंतर प्रगति, समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
जय हिन्द!