01-04-2025 : ओडिशा दिवस के अवसर पर “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
आज का यह विशेष अवसर, ओडिशा के स्थापना दिवस का, हम सभी के लिए गर्व और उत्साह का दिन है। मैं ओडिशा के सभी निवासियों को इस ऐतिहासिक दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। यह केवल एक राज्य के गठन का दिन नहीं है, बल्कि यह उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली इतिहास और अनूठी परंपराओं का उत्सव भी है। आज यह ओडिशा का 90वां स्थापना दिवस है।
ओडिशा भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण राज्य है। इसकी सीमाएं पश्चिम में छत्तीसगढ़, उत्तर में झारखण्ड, उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से लगती हैं। पूर्वी दिशा में बंगाल की खाड़ी इसे एक विशाल समुद्र तट प्रदान करती है। वर्तमान में, ओडिशा भारत के सबसे तेजी से विकसित होने वाले राज्यों में से एक है। यहाँ खनिज संसाधनों की प्रचुरता है और इसे “भारत का खनिज राज्य” भी कहा जाता है। लौह अयस्क, बॉक्साइट और कोयला उत्पादन में यह अग्रणी राज्य है।
ओडिशा दिवस, जिसे उत्कल दिवस भी कहा जाता है, हमें उस गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है जब 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। यह केवल एक प्रशासनिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह भाषा, संस्कृति और आत्मनिर्णय की पहचान को मान्यता देने का भी प्रतीक था। 2011 में उड़ीसा से ओडिशा नाम परिवर्तन, इसकी भाषाई और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
ओडिशा अपनी सांस्कृतिक धरोहर, भव्य मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर, जिसकी रथ यात्रा विश्वभर में श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, कोणार्क का सूर्य मंदिर, जिसे वास्तुकला का अद्वितीय चमत्कार माना जाता है, और भुवनेश्वर, जिसे ‘मंदिरों का शहर’ कहा जाता है, सभी इस राज्य की समृद्ध परंपरा के परिचायक हैं।
इतिहास की बात करें तो प्राचीन ओडिशा, जो कभी कलिंग के नाम से जाना जाता था, ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महान सम्राट अशोक द्वारा 250 ईसा पूर्व कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा और धर्म का मार्ग अपनाने की प्रेरणा यहीं से मिली थी। इस भूमि ने अनेक योद्धाओं, संतों, साहित्यकारों और कलाकारों को जन्म दिया है, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को समृद्ध किया है।
ओडिशा केवल अपने इतिहास और संस्कृति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अपनी विविधता, प्राकृतिक सुंदरता और सतत विकास के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के हरे-भरे जंगल, झरने, समुद्री तट और जनजातीय परंपराएँ इसे अद्वितीय बनाते हैं। यह राज्य केवल पर्यटकों के लिए ही आकर्षण का केंद्र नहीं है, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ओडिशा खनिज संपदा, पारंपरिक हस्तशिल्प और तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
मैं आज आपसे एक महत्वपूर्ण बात भी साझा करना चाहता हूँ, भारत का पूर्वी राज्य ओडिशा प्राकृतिक आपदाओं से अक्सर प्रभावित होता है। इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि इसे बंगाल की खाड़ी से आने वाले तूफानों का अक्सर सामना करना पड़ता है। हर साल कई बड़े और खतरनाक तूफान इस राज्य से टकराते हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों में ओडिशा ने ऐसी तैयारियाँ और योजनाएँ अपनाई हैं कि यह अब तूफानों का सामना करने में सक्षम है और जन-धन की हानि को काफी हद तक कम कर पाया है।
ओडिशा सरकार ने भारत मौसम विज्ञान विभाग और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर एक प्रभावी चेतावनी प्रणाली बनाई है। तूफान के आने की संभावना होते ही स्थानीय प्रशासन और जनता को समय पर अलर्ट कर दिया जाता है। इस चेतावनी प्रणाली में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे लोगों को समय रहते तूफान से सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का मौका मिल जाता है। ैडै अलर्ट, रेडियो, टेलीविजन और सोशल मीडिया जैसे माध्यमों के जरिये भी लोगों को समय पर चेतावनी दी जाती है। राज्य सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए “रेडियो अलर्ट सिस्टम” और “साइबर अलर्ट” जैसी सुविधाओं का भी उपयोग किया है। यह कुछ ऐसी बातें जिनसे हमें भी सीख लेनी चाहिए।
आज जब हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ इस उत्सव को मना रहे हैं, तो यह याद रखना आवश्यक है कि हमारी विविधता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। ओडिशा की संस्कृति, परंपराएँ और उपलब्धियाँ भारत की एकता और अखंडता को और अधिक मजबूत करती हैं।
इस पावन अवसर पर, मैं उत्तराखण्ड में रह रहे ओडिशा के सभी निवासियों को एक बार फिर हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। आइए, हम सब मिलकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और अधिक सशक्त करें और भारत को वैश्विक स्तर पर एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें।
जय हिन्द!