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    14-11-2025:अमृत पीढ़ी से संवाद के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि : नवम्बर 14, 2025

    जय हिन्द!

    मेरे प्यारे बच्चों,

    मैं सच कहूँ तो अपने नौनिहालों, उज्ज्वल भारत के कर्णाधारों से मिलने, उनसे संवाद करने में मुझे आत्मिक प्रसन्नता की अनुभूति होती है। मैं राजभवन में आप सभी बच्चों का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ।

    आज का दिन मेरे लिए अत्यंत आनंद और गर्व का अवसर है, क्योंकि मैं उस “अमृत पीढ़ी” से संवाद कर रहा हूँ, जो भारत के अमृत काल की वाहक है। आप वह पीढ़ी हैं जो आजादी के शताब्दी वर्ष तक “विकसित भारत” निर्माण का दायित्व निभाएगी। बच्चों! आप सभी हमारे राष्ट्र की आशा, आकांक्षा और ऊर्जा का प्रतीक हैं।

    प्यारे बच्चों,

    आपके सपनों, आपके परिश्रम और आपके संस्कारों पर ही इस महान देश का भविष्य टिका है। याद रखिए! जो राष्ट्र अपनी युवा पीढ़ी को सशक्त बनाता है, वही विश्व में नेतृत्व करता है। इसलिए आपको अच्छी शिक्षा देना हमारी अहम जिम्मेदारी है।

    बच्चों, आज का युग ज्ञान, रचनात्मकता और नवाचार का युग है। विज्ञान और तकनीक हमारे विकास के साधन हैं, लेकिन हमारी संस्कृति और मूल्य ही हमारे अस्तित्व की पहचान हैं। हमें प्रगति के इस पथ पर चलते हुए अपने संस्कारों और परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए। आधुनिकता में भी परंपरा का सम्मान, यही हमारे भारत की आत्मा है।

    मैं जानता हूँ आप सबमें असीम ऊर्जा है। उसे सही दिशा, शिक्षा, खेल, कला, अनुसंधान और सेवा के कार्यों में लगाइए। मेरा आपसे आग्रह है- आप हर प्रकार के नशे और नकारात्मकता से दूर रहें। अपने भीतर यह विश्वास जगाइए – “मैं कर सकता हूँ, मैं बदल सकता हूँ, मैं बना सकता हूँ।” यही आत्म-विश्वास आपकी सबसे बड़ी शक्ति है।

    प्यारे बच्चों,

    पर्यावरण की रक्षा और स्वच्छता में आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का “स्वच्छ भारत अभियान” तभी सफल होगा जब हर बच्चा “एक कदम स्वच्छता की ओर” बढ़ाएगा। मेरा यह कहना है कि स्वच्छता केवल बाहर की नहीं, विचारों और आचरण की भी होनी चाहिए।

    सच्ची देशभक्ति केवल तिरंगे को सलाम करने में नहीं, बल्कि हर दिन अपने कार्य को ईमानदारी से करने में है। जब हम अपने देश, समाज और प्रकृति से प्रेम करते हैं, तभी सच्चे भारतीय कहलाते हैं।

    याद रखिए! जीवन में सफलता अकेले नहीं मिलती, बल्कि सहयोग, सद्भाव, प्रेम और करुणा से मिलती है। “सबका साथ, सबका विकास” का मंत्र जीवन में अपनाइए।

    बच्चों, छोटी उम्र में भी बड़े कार्य किए जा सकते हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने युवावस्था में ही देश के लिए रणभूमि में साहस दिखाया। चंद्रशेखर आजाद ने मात्र 15 वर्ष की उम्र में आजादी की शपथ ली। आधुनिक युग में भी हमारे युवाओं ने विज्ञान, खेल और समाजसेवा के क्षेत्र में विश्व को भारत की शक्ति दिखाई है। आपमें वही क्षमता है जो इतिहास बदल सकती है।

    और अंत में, मैं आपसे यही कहूँगा – जब आप स्वयं को केवल भारत का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत को अपने भीतर महसूस करेंगे, जब आपके विचारों में यह भावना होगी कि “भारत मुझमें है, और मैं भारत हूँ”, तभी सच्चे अर्थों में अमृतकाल आएगा।

    राष्ट्र सर्वाेपरि है, यही जीवन का मूल मंत्र बनाइए। अपने माता-पिता, शिक्षकों और राष्ट्र का गौरव बढ़ाइए। आप सब हमारे स्वर्णिम भविष्य की नींव हैं।

    अंत में आप सभी को मेरी ओर से उज्ज्वल भविष्य के लिए असीम हार्दिक शुभकामनाएँ!