03-11-2025:राजभवन नैनीताल की स्थापना के 125 वें वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
सर्वप्रथम, मैं देवभूमि उत्तराखण्ड की, इस पवित्र भूमि पर, राजभवन नैनीताल में, भारत की माननीय राष्ट्रपति महोदया के, प्रथम आगमन पर, हृदय से, स्वागत, और अभिनंदन, करता हूँ। आपका, यह शुभ आगमन, हम सभी के लिए, गर्व और प्रेरणा का, क्षण है। मैं, राष्ट्रपति महोदया का, उत्तराखण्ड के प्रति, उनके स्नेह, मार्गदर्शन, और निरंतर सानिध्य के लिए, हृदय से, आभार व्यक्त करता हूँ।
देवभूमि उत्तराखण्ड, जहाँ, हिमालय की ऊँचाइयाँ, अध्यात्म से संवाद करती हैं, जहाँ गंगा, और यमुना की, पवित्र धाराएँ, जीवन का संदेश, देती हैं। यह भूमि, केवल, भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि, भारत की आत्मा का, प्रतिबिंब है। और इस देवभूमि के, हृदय में, स्थित नैनीताल, प्रकृति की, अनुपम देन है, जहाँ पर, शांत झीलें, हरित वन, और पर्वतीय सौंदर्य का, अद्भुत संगम है।
ऐसी ही दिव्य वादियों में, बसा, राजभवन नैनीताल, केवल, एक प्रशासनिक भवन नहीं, बल्कि, हमारी ऐतिहासिक, स्थापत्य, और सांस्कृतिक विरासत का, गौरवशाली प्रतीक है। 19वीं शताब्दी में, निर्मित, यह राजभवन, गॉथिक स्थापत्य कला, का उत्कृष्ट उदाहरण है। ऊँचे मेहराब, सजीले स्तम्भ, विस्तृत उद्यान, ऐतिहासिक गोल्फ कोर्स, और चारों ओर, फैली हरियाली, यह सब मिलकर, राजभवन को, “प्रकृति और परंपरा के संगम” के रूप में, स्थापित करते हैं।
आज, जब राजभवन नैनीताल, अपने 125वें वर्ष की, गौरवशाली यात्रा, पर है, यह अवसर, हमारे अतीत के गौरव, वर्तमान की सृजन शीलता, और भविष्य की प्रेरणा, – तीनों का ही, अद्भुत, और अद्वितीय संगम है।
आज, इस सुअवसर पर, माननीय राष्ट्रपति महोदया के, कर-कमलों से, राजभवन नैनीताल के, 3-डी वर्चुअल टूर को, लॉन्च किया गया। इस डिजिटल टूर के, माध्यम से, आम नागरिक, देश-विदेश में, बैठकर भी, इस ऐतिहासिक धरोहर के, सौंदर्य, और वैभव का, अनुभव कर सकेंगे। यह पहल, डिजिटल इंडिया के, उस विजन के अनुरूप है, जहाँ तकनीक, केवल सुविधा का माध्यम नहीं, बल्कि, संस्कृति और विरासत के, संरक्षण का, साधन भी, बन रही है। मैं, इस अभिनव प्रयास से, जुड़े सभी तकनीकी विशेषज्ञों, और, अधिकारियों को, बधाई देता हूँ।
अभी, हमने राजभवन नैनीताल पर, आधारित लघु फिल्म देखी, जो, यह फिल्म, हमारी विरासत को, जीवंत रूप में, प्रस्तुत करती है। इस लघु फिल्म के, माध्यम से, हम आने वाली पीढ़ियों को, यह संदेश देंगे कि, कैसे परंपरा, स्थापत्य, और प्रकृति का, संतुलन हमारे जीवन मूल्यों की, प्रेरणा है।
इस अवसर पर, संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा प्रस्तुत, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में, हमारे राज्य की, लोककला, लोकनृत्य, और लोकसंगीत की, बेहतरीन प्रस्तुति, की गई। उत्तराखण्ड की, लोककला, लोकनृत्य और लोकसंगीत में, यहाँ की आत्मा, बसती है। ये परंपराएं, हमारी संस्कृति, आस्था, और लोक जीवन की, सजीव, अभिव्यक्ति हैं।
आज, जब हमारा राज्य, अपनी स्थापना के, 25 वर्ष पूर्ण होने पर, रजत जयंती उत्सव, मना रहा है। मैं, इस अवसर पर, यह उल्लेख करना चाहूँगा कि, अपनी स्थापना के, 25 वर्षों में, उत्तराखण्ड राज्य ने, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तीकरण, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में, उल्लेखनीय प्रगति, की है।
यह भी उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड को, विकास के पथ पर, अग्रसर करने में, माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी का, मार्गदर्शन, और केंद्र सरकार का, सहयोग अमूल्य, रहा है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, और, डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में, जो परिवर्तन हुआ है, वह वास्तव में, ‘विकसित भारत 2047’ के, सपने को साकार करने की दिशा में, ठोस कदम है।
अंत में, मैं, एक बार पुनः, माननीय राष्ट्रपति महोदया का, अपनी गरिमापूर्ण उपस्थिति, और प्रेरक सानिध्य के लिए, पूरे प्रदेश के, नागरिकों की ओर से, हार्दिक धन्यवाद, करता हूँ। आपका मार्गदर्शन, हमें सदैव, राष्ट्रहित, सेवा, और संवेदना की भावना से, कार्य करने के लिए, प्रेरित करता रहेगा।
जय हिन्द! भारत माता की जय!