Close

    15-07-2025 : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित ‘‘टीबी मुक्त भारत अभियान’’ पुरस्कार समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: जुलाई 15, 2025

    जय हिन्द!

    सर्वप्रथम मैं इस महत्वपूर्ण और जन-कल्याणकारी अभियान- ‘‘टीबी मुक्त उत्तराखण्ड’’ में आप सभी के द्वारा प्रतिभाग करने पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए आपका अभिनंदन करता हूँ।

    किसी भी राज्य या देश की असली तरक्की केवल आर्थिक प्रगति से नहीं, बल्कि नागरिकों की सेहत और खुशहाली से मापी जाती है। हमारे लोगों का अच्छा स्वास्थ्य ही समाज की वास्तविक प्रगति का संकेत है। भारत की सनातन परंपरा और ऋषि-मुनियों का मंत्र “पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया” इस बात पर बल देता है कि मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।

    आज इस अवसर पर सम्मानित होने वाले सभी निःक्षय मित्रों, उपचार समर्थकों और टीबी चैंपियनों को मैं हृदय से बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। आपकी निस्वार्थ सेवा और मानवता बहुत ही सराहनीय है। मुझे विश्वास है कि आप से प्रेरणा लेते हुए अन्य समाजसेवी भी इस मिशन को सफल बनाने के लिए आगे आएंगे।

    हम सब भली-भाँति जानते हैं कि स्वास्थ्य ही समृद्धि का मूल आधार है। यदि नागरिक स्वस्थ होंगे तो समाज भी सशक्त होगा और यदि समाज सशक्त होगा तो राष्ट्र स्वयं प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। इसलिए, स्वास्थ्य किसी भी सरकार की प्राथमिकता नहीं, बल्कि उसकी नीति और नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

    उत्तराखण्ड की पहचान केवल देवभूमि, योगभूमि और वीरभूमि तक सीमित नहीं है, बल्कि हम एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और जागरूक समाज की परिकल्पना कर रहे हैं, जहाँ प्रत्येक नागरिक को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों और कोई भी व्यक्ति किसी संक्रामक बीमारी का शिकार न हो।

    आज का आयोजन क्षयरोग (टीबी) जैसी पुरानी लेकिन अब भी व्यापक समस्या पर केन्द्रित है। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को तो तोड़ती ही है, परंतु मनोबल और आत्मविश्वास को भी गहराई से प्रभावित करती है। विडंबना यह है कि टीबी पूरी तरह से रोकी और ठीक की जा सकने वाली बीमारी है, इसके बावजूद भी हर वर्ष लाखों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए इस विषय पर चिंतन और आत्ममंथन करना बहुत आवश्यक है।

    साथियों,

    भारत सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम (छज्म्च्) के अंतर्गत 2030 के वैश्विक लक्ष्यों से पाँच साल पहले ही वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। यह लक्ष्य केवल दवाओं के माध्यम से नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना और सेवा भावना के माध्यम से ही संभव होगा।

    उत्तराखण्ड सरकार इस राष्ट्रीय संकल्प में पूर्ण निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ सहभागी है। ‘‘निःक्षय मित्र योजना’’ के माध्यम से सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों के लोग टीबी मरीजों को पोषण, सामाजिक समर्थन और परामर्श प्रदान कर रहे हैं। यह सेवा की वह मिसाल है जो हमें हमारी भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती है, जिसमें ‘‘नर सेवा ही नारायण सेवा’’ माना गया है।

    इसके साथ ही, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, शहरी निकाय, जैसे विभिन्न विभाग आपसी समन्वय के साथ इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। यही “Whole-of-Government, Whole-of-Society”दृष्टिकोण हमें टीबी मुक्त समाज की ओर अग्रसर करेगा।

    हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने टीबी उन्मूलन के प्रति संपूर्ण सरकार एवं संपूर्ण समाज वाले दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने हेतु जन भागीदारी को मजबूत करने का आह्वान किया है। यह अच्छी बात है कि अब यह आंदोलन, केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी से एक राष्ट्रीय संकल्प बन चुका है।

    आज मैं देख रहा हूँ कि छात्र, शिक्षक, चिकित्सा अधिकारी, स्वयंसेवक, पंचायत प्रतिनिधि, धार्मिक संस्थाएँ, सामाजिक संगठन, सभी इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। इस साझा प्रयास की शक्ति ही वह ऊर्जा है, जो आने वाले समय में उत्तराखण्ड को एक स्वस्थ और टीबी मुक्त राज्य में परिवर्तित करेगी।

    उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियाँ विशेष हैं। हमारे यहाँ दूरस्थ, पर्वतीय और सीमांत क्षेत्र हैं, जहाँ तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच एक चुनौती होती है। इसीलिए हमें टीबी उन्मूलन के लिए माइक्रो-स्तर पर रणनीति बनानी होगी। मोबाइल मेडिकल यूनिट, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से हम इन क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचा सकते हैं।

    हमें उन मरीजों तक भी पहुँचना होगा जो सामाजिक कलंक, जानकारी के अभाव या आर्थिक कठिनाइयों के कारण इलाज के लिए सामने नहीं आते। समाज का दायित्व है कि हम ऐसे हर व्यक्ति तक पहुँचें, उन्हें संबल दें, सम्मान दें और उपचार की पूर्ण व्यवस्था दें।

    साथियों,

    आज जब हम ‘विकसित भारत 2047’ की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य को विकास की धुरी के रूप में देखें। एक स्वस्थ नागरिक ही बेहतर कार्यक्षमता वाला नागरिक होता है। जब कोई युवा बीमारी से पीड़ित होता है, तो उसकी शिक्षा, रोजगार, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जीवन- सभी प्रभावित होते हैं। इसलिए टीबी उन्मूलन केवल एक स्वास्थ्य लक्ष्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय उत्पादकता और आर्थिक विकास का प्रश्न भी है।

    मैं यहाँ एक और महत्वपूर्ण विषय की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, वह है – नशा मुक्ति। स्वास्थ्य की दिशा में हमारे प्रयास तब तक अधूरे रहेंगे जब तक हम समाज को नशामुक्त नहीं बना लेते। टीबी जैसी बीमारियाँ कमजोर इम्यून सिस्टम और दूषित जीवनशैली की देन हैं। शराब, तम्बाकू और नशीले पदार्थों का सेवन न केवल शरीर को तोड़ता है, बल्कि समाज को भी खोखला करता है।

    उत्तराखण्ड में नशा मुक्ति अभियान को टीबी मुक्त अभियान से जोड़ना समय की माँग है। हमें युवाओं को जागरूक करना होगा कि नशा केवल एक व्यक्तिगत लत नहीं, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य आपदा है। यदि हम टीबी मुक्त उत्तराखण्ड का सपना देख रहे हैं तो उसका एक मजबूत आधार नशा मुक्त उत्तराखण्ड भी होना चाहिए।

    आज इस पावन अवसर पर, मैं राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में नहीं, बल्कि आपके अपने परिवारजन के रूप में यह आह्वान करता हूँ कि- आइए, हम हर नागरिक के स्वास्थ्य को राष्ट्र की पूंजी समझें। हर मरीज को सम्मान दें, हर सेवा को पूजा मानें और हर प्रयास को जन आंदोलन बनाकर उत्तराखण्ड को स्वस्थ, सशक्त और टीबी मुक्त बनाएँ।

    जैसा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में कहा गया है-
    “ਸੇਵਾ ਕਰਤ ਹੋਇ ਨਿਹਕਾਮੀ ॥ ਤਿਸ ਕਉ ਹੋਤ ਪਰਾਪਤਿ ਸੁਆਮੀ ॥”
    “बिना किसी इच्छा के सेवा करो, भगवान उसी को प्राप्त होते हैं।”

    अर्थात् सच्ची सेवा वही है जो निःस्वार्थ हो और मानवता के कल्याण के लिए हो। यही विचार हमें इस अभियान में भी मार्गदर्शन देते हैं, कि बिना भेदभाव, बिना अपेक्षा, केवल सेवा की भावना से हम हर रोगी तक पहुँचे। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानवता के प्रति हमारी निःस्वार्थ जिम्मेदारी है।

    इस आशा, अपेक्षा और विश्वास के साथ कि यह शुद्ध सेवा-भाव ही हमारा मार्गदर्शक हो, अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
    जय हिन्द!