09-05-2025 : इंडस्ट्री 5.0 पुस्तक विमोचन के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का भाषण
उत्तरांचल विश्वविद्यालय के प्रो. धर्मबुद्धि, प्रो. राजेश सिंह और प्रो. अनीता गहलोत को इस सराहनीय कार्य के लिए बधाई।
पुस्तक नीति निर्माताओं, उद्यमियों और युवा नव प्रवर्तकों के लिए होगी एक मार्गदर्शक।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसान, छोटे व्यापारी, महिलाएं, और युवा सभी इस तकनीकी विकास का हिस्सा बनें।
भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात ‘दुनिया एक परिवार है’ की अवधारणा रही है। यह दृष्टिकोण आज के नवीन युग में भी व्याप्त है।
हमारे राज्य की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिकता, और युवा पीढ़ी की ऊर्जा इस यात्रा को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।
इंडस्ट्री 5.0 हमारे सामूहिक संकल्प ‘विकसित भारत/2047’ के महान लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जय हिन्द!
आज हम सभी के लिए अत्यंत गर्व का दिन है क्योंकि आज हमने”Industry 5.0: Bridging Humanity and Technology for a Sustainable Future” एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक का विमोचन किया है।
इस पुस्तक का शीर्षक इंडस्ट्री 5.0 की भावना को बहुत गहराई से दर्शाता है। मेरा मानना है कि इस पुस्तक का इससे बेहतर शीर्षक नहीं हो सकता जिसमें भगवान शिव के त्रिशूल की शक्ति की तरह तीन शक्तिशाली शब्दों प्रौद्योगिकी, मानवता और स्थिरता का समावेश है।
यह पुस्तक केवल तकनीकी विकास की कहानी नहीं है, अपितु इसमें मानवता को नवाचार के केंद्र में रखने के बारे में विस्तृत उल्लेख है। आज जब हम एक परिवर्तनकारी युग और एक उभरती हुई औद्योगिक क्रांति के दौर में प्रवेश कर रहे हैं, इस पुस्तक में इस परिवर्तन को बहुत ही सरल और सुंदर तरीके से सामने रखा है।
मैं उत्तरांचल विश्वविद्यालय के प्रो. धर्मबुद्धि, प्रो. राजेश सिंह और प्रो. अनीता गहलोत को इस ऐतिहासिक कार्य के लिए बधाई देता हूँ जिन्होंने ‘वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च’ पहल के तहत इंडस्ट्री 5.0 की अवधारणा को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह पुस्तक उत्तराखण्ड के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
मैं इस पुस्तक के लेखकों के साथ 12 गहन बैठकों का हिस्सा रहा हूँ। यह पुस्तक, दर्शाती है कि इंडस्ट्री 5.0 के माध्यम से हम वैश्विक नेतृत्व कैसे प्राप्त कर सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि यह पुस्तक नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं और युवा नव प्रवर्तकों के लिए एक मार्गदर्शक होगी।
इस पुस्तक में इंडस्ट्री 5.0 के विभिन्न पहलुओं को 16 अध्यायों में दस्तावेज किया गया है और प्रत्येक अध्याय अद्वितीय है, जिसमें शिक्षा और एक्सआर, इको-प्रभावशीलता, रक्षा, कोबोट्स, स्थायी विनिर्माण, साइबर सुरक्षा, मेटावर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्षमता निर्माण और स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता जैसे विषयों का गहन विश्लेषण किया गया है, जो न केवल प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देते हैं बल्कि ‘भारत’ को स्थानीय से वैश्विक स्तर पर स्थापित करते हैं।
मैं लेखकों की सराहना करता हूँ जिन्होंने न केवल तकनीकी प्रगति को समझाया है बल्कि एक ऐसे भविष्य की कल्पना की है जहां उद्योग लोगों को सशक्त बनाते हैं, स्थायी विकास लाते हैं, समाज हित को केंद्र में रखते हैं, साथ ही भारतीय दृष्टिकोण के साथ भविष्यवादी दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करते हैं।
उत्तरांचल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री जितेंद्र जोशी जी को मेरी बधाई जिन्होंने अपनी जीवनी ‘धैर्यपथ’ लिखी और उत्तराखण्ड राज्य में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
आज का यह अवसर हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रेरणादायक कथनों की याद दिलाता है- ‘यही समय है, सही समय है’ और ‘21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का है।’ इसको साकार करने के लिए हमें संकल्पित होकर सामूहिक रूप से कठोर परिश्रम करना होगा।
इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो, इंडस्ट्री 1.0 से इंडस्ट्री 3.0 के दौरान, हम उपनिवेशवाद के कारण योगदान नहीं कर सके, लेकिन इंडस्ट्री 4.0 के विकास में और विशेष रूप से डिजिटलीकरण में, भारत ने क्षमता और क्षमता निर्माण में वैश्विक स्तर पर बढ़त हासिल की और प्रौद्योगिकी के विकास के उदाहरण प्रस्तुत किए।
वर्ष 2023 में, इसरो के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग के लिए भारत की क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। भारत सरकार द्वारा उस स्थान का नाम ‘शिव शक्ति’ रखकर उस स्थान को भारतीय पहचान दी, जो दुनिया भर में हमारी तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाता है।
पिछले औद्योगिक क्रांतियों के दौरान जो हमने खोया आज हमारे पास उसे पुनः प्राप्त करने और एक ऐसे भविष्य में आगे बढ़ने का मौका है जहां मानव रचनात्मकता, नैतिकता और स्थिरता- एआई, मेटावर्स और क्वांटम कंप्यूटिंग के साथ सह अस्तित्व में हों।
साथियों,
आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां प्रौद्योगिकी और मानवता के बीच एक गहरा रिश्ता स्थापित हो गया है। हम सभी इस बात से परिचित हैं कि प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन को किस प्रकार से बदल दिया है।
लेकिन, इन सबके बीच यह याद रखना जरूरी है कि यह तकनीकी विकास तभी सार्थक होगा, जब यह समावेशी होगा, जब यह समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसान, छोटे व्यापारी, महिलाएं, और युवा सभी इस तकनीकी विकास का हिस्सा बनें।
मेरा यह मानना है कि जब हम प्रौद्योगिकी को मानवता के कल्याण के साथ जोड़ते हैं, तब हम एक बेहतर, स्वस्थ और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं। तकनीकी विकास का प्रभाव व्यक्ति और समाज पर केन्द्रित होना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी न केवल जीवन को सरल बनाए, बल्कि इसे अधिक न्यायपूर्ण, समावेशी और सतत भी बनाए।
आज, डिजिटल युग में प्रवेश करते समय, हमने देखा कि कैसे डिजिटल के प्रयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और व्यापार में आमूल चूल परिवर्तन लाए हैं। डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों ने भारत को डिजिटल क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। आज दूर-दराज के इलाकों में भी लोग डिजिटल सेवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके माध्यम से हर नागरिक को समान अवसर और सुविधाएं मिल रही हैं।
आज एआई, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे इनोवेशन, मानव भविष्य को नए आयाम दे रहे हैं। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम ने नवप्रवर्तन और उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह नई पीढ़ी की सोच और तकनीकी नवाचार का समन्वय है जिससे हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात ‘दुनिया एक परिवार है’ की अवधारणा रही है। यह दृष्टिकोण आज के नवीन युग में भी व्याप्त है। हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं, जहां पुरातन के माध्यम से हम वैश्विक स्तर पर जुड़ सकते हैं, जहां हर देश, हर समाज और हर व्यक्ति एक-दूसरे के साथ सह-अस्तित्व की भावना से रह सके।
भारत अपनी युवा ऊर्जा और विशाल जन सांख्यिकीय लाभांश के कारण पारंपरिक ज्ञान को नवीन विचारों के साथ मिलाकर इस परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए आदर्श रूप से सक्षम है। इतिहास में, पंच तत्व की अवधारणा संतुलन और परस्पर संबंधों का प्रतीक रही है। आज, इंडस्ट्री 5.0 इस दर्शन को दर्शाती है, जो प्रौद्योगिकी, स्थिरता, मानव मूल्यों, नीति और लचीलापन को एकीकृत करती है, जिस तरह पंच प्यारे सेवा और एकता का प्रतीक हैं।
हिमालय की गोद में बसा यह प्रदेश प्राचीनता और आधुनिकता का अद्भुत संगम है, और यहां की विशेषताएं इसे नए औद्योगिक युग के लिए आदर्श बनाती हैं। हमारे राज्य की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिकता, और युवा पीढ़ी की ऊर्जा इस यात्रा को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है। मेरा विश्वास है कि उत्तराखण्ड, इस परिवर्तन में अग्रणी रहकर नेतृत्व करेगा।
अब समय आ गया है कि हम इस नए युग को अपनाएं, यह सुनिश्चित करते हुए कि तकनीकी विकास मानवता को ऊपर उठाए, परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पास एक पृथ्वी है, इसलिए इसकी देखभाल भी बहुत जरूरी है। जलवायु परिवर्तन उभरकर सामने आया है। हमें स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण एवं उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यही सतत विकास की कुंजी है।
इंडस्ट्री 5.0 हमारे सामूहिक संकल्प ‘विकसित भारत/2047’ के महान लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। इसके लिए भारतीय उद्योग जगत को न केवल नवीनतम तकनीक का प्रयोग करना आवश्यक है, बल्कि उन प्रौद्योगिकी का भारतीय संदर्भ में उपयोग करना भी आवश्यक है।
अंत में, मैं यही कहना चाहता हूँ कि सतत भविष्य का निर्माण तभी संभव है जब हम प्रौद्योगिकी के साथ समन्वित हों। यह हमारा दायित्व है कि हम इस समन्वय को सही दिशा में लेकर चलें।
यह पुस्तक एक गहरी प्रतिबद्धता का परिणाम है, जो रणनीतिक रूप से प्रयोगशाला से धरातल पर पहुंची है। मेरा विश्वास है कि यह रचना हमारे देश की विकास कहानी में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सहायक होगी। इस दूरदर्शी कार्य को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना हम सब के लिए गर्व और सम्मान की बात है।
मैं एक बार फिर से लेखक और इस ऐतिहासिक कार्य के सभी योगदान कर्ताओं की हृदय से सराहना करता हूँ। यह पुस्तक हमारी विकास यात्रा को एक नई दिशा देगी और विश्व पटल पर उत्तराखण्ड और भारत की पहचान को और बढ़ावा देगी। अंत में आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामना देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!