30-03-2025 : राजस्थान दिवस पर माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
खम्मा घणी।
राजस्थान के स्थापना दिवस के अवसर पर मैं आप सभी राजस्थानवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई देता हूँ। मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि यह उत्सव ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के साथ मनाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत पूरे देश में सभी राजभवनों से विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। यह पहल भारत की एकता, अखंडता एवं सांस्कृतिक समृद्धि को और अधिक सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राजस्थान, जिसे पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था, 30 मार्च 1949 को विभिन्न रियासतों के एकीकरण के पश्चात एक संगठित राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इस एकीकरण में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। राजस्थान वीरता, साहस, बलिदान और अतुलनीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
राजस्थान के इतिहास में महाराणा प्रताप, महाराणा सांगा, महाराजा सूरजमल, वीर तेजाजी जैसे महान योद्धाओं की शौर्यगाथाएँ हमें प्रेरणा देती हैं। यहाँ की लोक कलाएँ, समृद्ध संस्कृति, भव्य महल, अद्वितीय व्यंजन एवं पर्यटन स्थल अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। वीर तो वीर, यहाँ की वीरांगनाएं भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में नहीं झिझकती। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया। राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। पन्ना धाय जैसी मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाली वीरांगना, मीराबाई जैसी भक्त संत, तथा कर्माबाई जैसी श्रद्धालु भक्तिन राजस्थान की गौरवशाली परंपरा का उदाहरण हैं।
राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से भी भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। यहाँ के ऐतिहासिक किले, महल, हवेलियाँ और मंदिर विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जयपुर का हवा महल, उदयपुर की झीलें, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर के दुर्ग विश्व प्रसिद्ध हैं। भारत आने वाला हर तीसरा विदेशी पर्यटक राजस्थान का भ्रमण अवश्य करता है। धोरों की धरती जैसलमेर की अपनी अलग पहचान है। ऊँटों की सवारी का आनंद लेते हुए हिचकोले खाते पर्यटक देखे जा सकते हैं। झीलों की नगरी उदयपुर हो या पिंक सिटी जयपुर, पर्यटन की दृष्टि से यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं।
राजस्थान की संस्कृति पूरे देश को एक सूत्र में पिरोती है। यहाँ के लोकनृत्य, संगीत, चित्रकला, वास्तुकला और पारंपरिक वेशभूषा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। यहाँ का लोकसंगीत दिल को छू लेने वाला है-चाहे वह पधारो म्हारे देश हो या मांड गायन की धुनें। यह विशेष बात है कि राजस्थान और उत्तराखण्ड दोनों ही राज्य अतिथि देवो भवः की युक्ति को चरितार्थ करते हुए ही अपने राज्य में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करते हैं। आज इस अवसर पर मैं आप सभी को कहना चाहूँगा कि जिस प्रकार आप सभी को कहते हैं कि ‘पधारो म्हारे देश’, उसी प्रकार आप अपने सगे संबंधियों को बोलें ‘पधारो म्हारे उत्तराखण्ड’। क्योंकि आप सब भी तो हमारे ब्रांड एम्बेसडर ही हैं।
राजस्थान केवल भौगोलिक रूप से विशाल प्रदेश नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा में रचा-बसा एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ इतिहास, वीरता, बलिदान और संस्कृति एक साथ जीवन्त रूप में उपस्थित हैं।राजस्थान की एक और विशेष बात यह है कि यहाँ जैसलमेर का पोखरण जो कभी लाल पत्थरों से निर्मित दुर्ग के कारण मशहूर था, अब इसकी पहचान भारत की एटमी ताकत की भूमि के रूप में भी है। यहां पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को किया गया था। इसके बाद 11 और 13 मई 1998 को भी यहां परीक्षण किए गए।
राजस्थान की हस्तकला भी विशेष पहचान रखती है। आभूषण और रत्न, लघु चित्रकला, कठपुतली, गुड़िया, चित्रकारी, कालीन, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र कारीगरी, धातु शिल्प, जोधपुरी जूती और मसाले राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजन भी अपनी अलग पहचान रखते हैं। प्रसिद्ध ‘घेवर’ मिठाई हो या कोटा की मशहूर कचौरी, यहाँ के व्यंजनों की खुशबू दूर-दूर तक फैली हुई है।
हमारा भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। प्रत्येक राज्य की अपनी विशिष्ट भाषा, परंपराएँ, कला और संस्कृति हैं। इस विविधता में ही हमारी शक्ति निहित है। अनेकताओं में एकता ही भारत की पहचान है। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान के अंतर्गत यह आयोजन विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच परस्पर संवाद, एकता की भावना, सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को राजस्थान पूरे हृदय से आत्मसात करता है। यहाँ की संस्कृति, यहाँ के उत्सव, यहाँ की विरासत पूरे भारत को एकसूत्र में बाँधने का कार्य करते हैं। हम सब मिलकर इस एकता को और अधिक सशक्त करें, हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोएँ और राजस्थान को प्रगति के नए शिखर तक पहुँचाएँ।
आज, इस विशेष अवसर पर, मैं आप सभी को बधाई देते हुए यही कामना करता हूँ कि राजस्थान समृद्धि और विकास की नई ऊँचाइयों को छूता रहे और देश को गौरवान्वित करता रहे।
जय हिन्द!