08-03-2025 : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर वसंतोत्सव में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
(दिनांक 8 मार्च, 2025)
भाषण के मुख्य बिंदु
* सभी मातृशक्ति को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
* अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों और उनका योगदान को याद करना।
* गार्गी चैटबॉट का शुभारंभ महिलाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम।
* महिलाओं के लिए कानूनी सहायता, कैरियर परामर्श, वित्तीय साक्षरता, सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा।
* दिल्ली की कथक धरोहर टीम और उप्रेती सिस्टर्स की शानदार प्रस्तुतियाँ की सराहना।
* महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता।
* महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की अपील।
जय हिन्द!
आज, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस विशेष अवसर पर, मैं आप सभी का राजभवन में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ। मैं इस अवसर पर सभी मातृशक्ति को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। आज का यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि नारी सृजन का आधार है, नारी शक्ति का प्रतीक है, और नारी समाज की आधारशिला भी है।
आज का यह दिन दुनिया भर में महिलाओं की उपलब्धियों और उनके अद्वितीय योगदान को सराहने का सुअवसर है। आज का यह अवसर महिलाओं की प्रगति, उनकी उपलब्धियों और उनके अदम्य साहस का उत्सव मनाने का दिन है।
देखिए! यह भी एक संयोग है कि महिला दिवस के इस अवसर पर हमने एक विदुषी नारी गार्गी, जो भारत की दार्शनिक थी, वैदिक साहित्य में, उन्हें एक महान प्राकृतिक दार्शनिक, वेदों के प्रसिद्ध व्याख्याता के रूप में जाना जाता है, उनके नाम पर गार्गी (ळ।त्ळप्)चैटबॉट का शुभारंभ किया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित इस चैटबॉट के माध्यम से हमारी बेटियां और महिलाएं तकनीकी का उपयोग कर कानूनी सहायता, कैरियर परामर्श, वित्तीय साक्षरता, सुरक्षा उपायों और स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
बदलते समय के साथ यह जरूरी हैं कि हमारी मातृशक्ति तकनीकी का उपयोग करें। मुझे विश्वास है कि हमारी मातृशक्ति इस चैटबाॅट का उपयोग कर तकनीकी रूप से और सशक्त बनेंगी। मैं इस चैटबाॅट को तैयार करने वाले सिद्धार्थ माधव और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूँ।
भारत की संस्कृति में नारी को सदैव शक्ति, सृजन और संस्कार का प्रतीक माना गया है। हमारे वेदों और शास्त्रों में कहा गया है-
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’
अर्थात, जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। इसी परंपरा का जीवंत उदाहरण हम आज यहां देख रहे हैं, जब हमारी बेटियों और मातृशक्ति ने अपनी कला, नृत्य, संगीत और परंपराओं के माध्यम से हमें संस्कृति की इस अनमोल धरोहर से जोड़ा है।
आज की सांस्कृतिक संध्या अपने आप में एक प्रेरणा है। इन रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से हमने नारी के विभिन्न रूपों को देखा, कभी वह ममता और प्रेम का प्रतीक बनी, तो कभी अपनी शक्ति और साहस से समाज का मार्गदर्शन करती दिखाई दी।
आज नृत्य, संगीत और नाट्य प्रस्तुतियों ने हमें यह आभास कराया कि नारी केवल घर की धुरी नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की आत्मा भी है। यह कार्यक्रम हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने के साथ-साथ यह संदेश भी देता है कि यदि महिलाओं को समान अवसर दिए जाएं, तो वे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकती हैं।
दिल्ली की कथक धरोहर टीम की शिव प्रस्तुति एवं उप्रेती सिस्टर्स की शानदार प्रस्तुतियों ने आज की इस सांस्कृतिक संध्या को यादगार बना दिया है, इसके लिए मैं उनको हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ।
उत्तराखण्ड की धरती नारी शक्ति की प्रतीक रही है। यहां की जीवट महिलाएं न केवल घर और परिवार की जिम्मेदारी निभा रही हैं, बल्कि कृषि हो या व्यापार, शिक्षा हो या चिकित्सा, पुलिस हो या सेना, विज्ञान हो या तकनीकी का क्षेत्र। उत्तराखण्ड की महिलाएं देश एवं प्रदेश की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।
इतिहास गवाह है कि जब भी समाज और राष्ट्र ने महिलाओं को अवसर दिए हैं, उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और क्षमता से चमत्कार किए हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए चिपको आंदोलन से लेकर आज के महिला उद्यमियों तक, उत्तराखण्ड की महिलाओं ने हमेशा नेतृत्व किया है और समाज को नई दिशा दी है।
सरकार महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उत्तराखण्ड में अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं जो महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मदद कर रही हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर बेटी को शिक्षा मिले, हर महिला को सुरक्षित वातावरण मिले और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए।
राष्ट्र के नव निर्माण में महिलाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके दृष्टिगत महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र और उत्तराखण्ड सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन योजनाओं और कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना, और उन्हें शिक्षा और रोजगार के समान अवसर प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, महिला स्वयं सहायता समूह, केंद्र सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी कई योजनाओं के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है, जिससे वे देश की प्रगति में सक्रिय योगदान दे रही हैं।
लेकिन केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और समानता को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। हम प्रण लें हो कि कोई भी बेटी शिक्षा से वंचित नहीं रहे, किसी भी महिला के साथ भेदभाव न हो, हर बेटी को उसके सपनों को पूरा करने का अवसर मिले।
मातृशक्ति हमारे उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं। मेरा मानना है कि देश एवं प्रदेश का विकास केवल तभी संभव है, जब हमारी मातृशक्ति सशक्त और आत्मनिर्भर हों, ताकि वे विकसित उत्तराखण्ड-विकसित भारत, के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
एक सशक्त नारी, एक सशक्त परिवार बनाती है, और सशक्त परिवार ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव रखते हैं। इस अवसर पर, मैं सभी से यह अपील करता हूँ कि हम मिलकर उत्तराखण्ड की महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करें और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें।
अंत में, मैं उन सभी कलाकारों को हृदय से बधाई देता हूँ जिन्होंने आज अपनी प्रस्तुतियों से इस सांस्कृतिक संध्या को यादगार बना दिया। आप सभी की प्रतिभा ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया और इस विशेष दिन को और भी प्रेरणादायक बना दिया।
मैं आप सभी माताओं, बहनों और बेटियों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सदैव प्रगति करें, अपने सपनों को पूरा करें और समाज व राष्ट्र को गौरवान्वित करें, इन्हीं शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिंद!