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    09-03-2025 : वसंतोत्सव के समापन अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मार्च 9, 2025

    वसंतोत्सव के समापन अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    (दिनांकः 09 मार्च, 2025)

    भाषण के मुख्य बिंदु

    * वसंतोत्सव-2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए सभी प्रदेश वासियों का हृदय से आभार।

    * वसंत उत्सव के इन तीन दिनों में राजभवन में चारों ओर एक दिव्य, भव्य और उल्लास का वातावरण रहा।

    * यह उत्सव न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदनशीलता को बढ़ाता है, बल्कि यह हमारे कृषि और बागवानी क्षेत्रों के विकास का भी प्रतीक है।

    * वसंतोत्सव के दौरान सायं काल में सांस्कृतिक संध्या के आयोजन से हम सभी स्थानीय लोक संस्कृति से रूबरू हुए।

    * इस वर्ष वसंतोत्सव में डिजिटल और टेक्नोलाॅजी का किया गया उपयोग।

    वसंत का यह उत्सव बन गया है जन-जन का उत्सव। इस सुन्दर आयोजन के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई।

    निश्चित ही उत्तराखण्ड राज्य देश ही नहीं अपितु विश्व में पुष्प प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाने में होगासफल।

    जय हिन्द!

    राजभवन में आयोजित तीन दिवसीय वसंत उत्सव के समापन समारोह में आप सभी उपस्थित महानुभावों, विशिष्ट अतिथिगणों, किसान भाइयों-बहनों, पुष्प प्रेमियों और सम्मानित नागरिकों का मैं हृदय से स्वागत और अभिनंदन करता हूँ।

    सर्वप्रथम में इस वसंतोत्सव को दिव्य और भव्य बनाने के लिए सभी प्रदेश वासियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। हमारे प्रदेश को प्रकृति ने वरदान स्वरूप फूलों की घाटी जैसी अमूल्य विश्व धरोहर प्रदान की है। राजभवन में वसंतोत्सव का आयोजन ऐसा लगता है कि फूलों की घाटी देहरादून में प्रतिबिम्बित हो गई है।

    वसंत का मौसम, जिसे जीवन, ऊर्जा और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है इस ऋतु का आगमन न केवल प्रकृति को नई उमंग और ताजगी से भर देता है, बल्कि यह हमारे जीवन में भी सकारात्मकता और आशा का संदेश लाता है। इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों को मैं शुभकामनाएं देता हूँ।

    मानव जीवन में प्रकृति की इस अनमोल कृत ‘पुष्प’ का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अवलोकन मात्र से मन प्रफुल्लित हो उठता है। यह प्रेम, हर्षाेल्लास, सदभावना, मधुरवाणी एवं स्फूर्ति को उत्प्रेरित करता है। विशेष रूप से वसंत ऋतु में पुष्पों के खिलने से प्रकृति में निखार आ जाता है।

    उत्तराखण्ड की संस्कृति में वसंत ऋतु का विशेष महत्व है। हमारी लोक कथाएं, लोक संगीत और लोक नृत्य वसंत के आगमन के साथ ही नई उमंग और जोश से भर जाते हैं। इस अवसर पर प्रस्तुत किए गए लोक नृत्य और संगीत ने न केवल हमें हमारी परंपराओं की याद दिलाई, बल्कि उन्होंने हमें इस बात का भी एहसास कराया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध है।

    मैंने महसूस किया कि इन तीन दिनों में राजभवन में चारों ओर एक दिव्य, भव्य और उल्लास का वातावरण रहा। लोगों ने राजभवन आकर इस उत्सव को हर्षाेल्लास और धूम-धाम से मनाया। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सभी लोगों को इस वसंत मेले (कौथिग) में सच-मुच ही परमानंद की अनुभूति हुई होगी।

    आध्यात्मिकता और साहस की धरती ‘देवभूमि’ और ‘वीरभूमि’ उत्तराखण्ड प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली का भी घर है। यहां की घाटियां, पर्वत और नदियां इस धरती की अद्वितीय संपदा हैं। वसंतोत्सव और पुष्प उत्सव उत्तराखण्ड की इसी समृद्ध प्रकृति और जैव विविधता का प्रतीक है।

    इस अवसर का प्रमुख आकर्षण पुष्प उत्सव हमें प्रकृति की विविधता और सुंदरता की अनुभूति कराता है। इस उत्सव में प्रदर्शित रंग-बिरंगे फूल, उनकी खुशबू और आभा हमारे जीवन को नई प्रेरणा देते हैं। यह उत्सव न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदनशीलता को बढ़ाता है, बल्कि यह हमारे कृषि और बागवानी क्षेत्रों के विकास का भी प्रतीक है। हमारे किसान और बागवानी विशेषज्ञों का इसमें बहुत बड़ा योगदान है, जो उत्तराखण्ड को फूलों की खेती में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।

    इस अवसर पर, मैं अपने उन किसान भाइयों और बहनों का विशेष रूप से आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण से इन पुष्पों का उत्पादन किया है। उनकी मेहनत से ही आज हमारा राज्य न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पुष्प उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हो रहा है।

    उत्तराखण्ड की जलवायु और भौगोलिक विशेषताएं फूलों की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि हमारा राज्य विभिन्न प्रकार के पुष्पों के उत्पादन में अग्रणी है। उत्तराखण्ड सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं कि हमारे किसान नवीनतम तकनीकों को अपनाकर अधिक उत्पादन करें और अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी पहुंचाएं।

    इस अवसर पर, मैं यह भी कहना चाहूंगा कि फूलों की खेती के साथ-साथ हमें पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। वसंतोत्सव न केवल प्रकृति की सुंदरता का उत्सव है, बल्कि यह हमें हमारे पर्यावरण की सुरक्षा और उसे स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी भी याद दिलाता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण छोड़ें।

    इस वर्ष वसंतोत्सव में राज्य के लगभग सभी जनपदों में उत्पादित पुष्पों को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें व्यवसायिक पुष्प यथा जरबेरा, कॉरनेशन, ग्लेडियोलस, गुलाब, रजनीगंधा, लिलियम, आर्किड व अन्य शोभाकारी पुष्प प्रमुख है।

    इस उत्सव को और मनभावन बनाने हेतु सायं काल में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय भाषाओं के गीतों, लोक नृत्यों एवं अन्य कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों के साथ ही प्रदेश से जुड़े हुए ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा भी प्रस्तुतीकरण दिया गया।

    मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में राजभवन परिसर के अन्दर पधारे पुष्प प्रेमियों, प्रतिभागियों, विशेष रूप से सम्मानित जनमानस द्वारा पॉलीथीन का उपयोग नहीं किया गया जो सराहनीय ही नहीं अपितु अनुकरणीय भी है।

    आज जब हम इस उत्सव का समापन कर रहे हैं, तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उत्तराखण्ड की इस अनमोल धरोहर की सुरक्षा और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास करेंगे। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाकर हम अपनी उत्पादन क्षमता को और भी बढ़ाएं, ताकि किसान फूलों की खेती को एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में अपना सकें।

    मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि राज्य में पुष्प उत्पादन हेतु विद्यमान अवसरों एवं उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का पूर्ण लाभ प्राप्त करते हुए पुष्प उत्पादकों द्वारा इसे विकास की बुलन्दियों तक पहुंचाया जाएगा, जो उनकी आय में आपेक्षित वृद्धि में सहायक होगा।

    वसंत का यह उत्सव जो जन-जन का उत्सव बन गया है, इसमें अहम योगदान दाताओं को, विशेषकर कृषि एवं उद्यान विभाग को मैं, इस सुन्दर आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।

    जिन प्रतिभागियों ने कठोर परिश्रम से प्रतियोगिताओं में भाग लिया, प्रदर्शनियां लगायीं, कार्यक्रमों में भागीदारी की, आप सभी को आपके हुनर, आपके परिश्रम के लिए दिल की गहराई से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। मैं आप सभी की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूँ।

    मैं राजभवन के इस वसंतोत्सव में दूर-दराज से आए हुए सभी मेहनतकश किसानों, स्वयं सहायता समूहों, सरकारी विभागों और विशेष रूप से प्रेस, मीडिया के सभी प्रतिनिधियों को इस उत्सव को प्रदेश का एक दिव्य, भव्य, नव्य उत्सव बनाने के लिए धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त करता हूँ।

    अंत में, मैं एक बार फिर से सभी किसान भाइयों, पुष्प उत्पादकों और इस आयोजन से जुड़े सभी विभागों एवं संस्थाओं को उनके योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ। आपकी मेहनत, लगन और समर्पण ने इस वसंतोत्सव और पुष्प उत्सव को सफल बनाया है।

    निःसंदेह उत्तराखण्ड राज्य देश ही नहीं अपितु विश्व में पुष्प प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल होगा, ऐसी मेरी कामना है। यह उत्सव हमारे जीवन में नई ऊर्जा, नई प्रेरणा और नई संभावनाओं का संचार करें। आपका जीवन इस उत्सव के फूलों की तरह खिल-खिलाता रहे, मैं सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
    जय हिन्द!