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    05-03-2025 : भारतीय दूरसंचार सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मार्च 5, 2025

    जय हिन्द!

    इंडियन टेलीकॉम सर्विसेज के ऊर्जावान प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलकर मुझे अपार प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। मैं इस अवसर पर आप सभी को अपनी सेवाओं में सफलता के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। मुझे विश्वास है कि अपनी सेवाओं का हिस्सा बनने के बाद, आप राष्ट्र और जनता की पूरी ईमानदारी से सेवा करेंगे।

    लोक सेवक के रूप में अपनी सेवा के दौरान आपको परिवर्तन लाने के अवसर प्राप्त होंगे। इस तरह के बदलाव लोगों के जीवन को बदल सकते हैं। यह निश्चित है कि यदि आप युवा अधिकारीगण जनता की सेवा का मार्ग अपनाएंगे, तो आपको अपने कार्य से बहुत संतुष्टि मिलेगी।

    मेरा आपसे आग्रह है कि आप देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले समाज के वंचित वर्गों को हमेशा याद रखें। आपकी सेवाएँ उन्हें पहुँच और कनेक्टिविटी प्रदान करके सीधे मुख्यधारा से जोड़ सकती हैं। जन धन योजना, आधार और मोबाइल कनेक्टिविटी की हालिया सफलता, जिसे श्र।ड ट्रिनिटी कहा जाता है, प्रौद्योगिकी के माध्यम से संभव हुई है।

    भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारियों के करियर में प्रौद्योगिकी की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। पिछले दो दशकों के दौरान भारत में दूरसंचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है। भारत में मोबाइल टेलीफोनी और तेज इंटरनेट नेटवर्क की शुरूआत ने देश को अपनी विशाल डिजिटल क्षमता का उपयोग करने में सक्षम बनाया है।

    विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमारे पास सर्वाेत्तम गुणवत्ता वाली दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं का होना जरूरी है। इस पृष्ठभूमि में, भारतीय दूरसंचार सेवाओं के अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। आपके कार्य के क्षेत्र में दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा बनाए रखना, संचार खुफिया जानकारी, लाइसेंस जारी करना और उनका अनुपालन करना और ऐसे अन्य कार्य जैसे संवेदनशील पहलू शामिल होंगे। जैसे-जैसे हम 6-जी मोबाइल टेलीफोनी की ओर बढ़ेंगे, प्रौद्योगिकी प्रगति और इसे अपनाने में तीव्रता आएगी। आपकी यह जिम्मेदारी है कि आप इन घटनाक्रमों से भलीभांति अवगत रहें।

    साथियों,

    भारतीय दूरसंचार के सफर की शुरूआत 1850 में टेलीग्राफ के साथ शुरूआत हुई, जब कलकत्ता और डायमंड हार्बर के बीच पहली प्रायोगिक विद्युत टेलीग्राफ लाइन स्थापित की गई थी। तब से, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ने एक लंबा सफर तय किया है और आज टेलीफोन उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या के आधार पर हमारे पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार नेटवर्क है।

    टेलीकॉम विभाग (क्वज्) ने 2024 में विश्व टेलीकॉम और मानकीकरण सभा (ॅज्ै।-24) का आयोजन भी किया, जो एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था। जिसमें 160 से अधिक देशों से 3,700 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। यह आयोजन भारत की वैश्विक टेलीकॉम नवाचार और नीति नेतृत्व में प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर रहा।

    टेलीकॉम विभाग ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में टेलीकॉम संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए नागरिकों के हित में कई उपाय किए हैं, जिनमें संचार साथी पोर्टल (ूूूण्ेंदबींतेंजीपण्हवअण्पद) की शुरुआत शामिल है। इसके अलावा, गतिक्षिति संचार पोर्टल को राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों और प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के माध्यम से त्पहीज व िॅंल (त्वॅ) आवेदन प्रस्तुत करने के लिए विकसित किया गया है, जो आवेदन की पारदर्शी प्रक्रिया और कागजी कार्यवाही को न्यूनतम करता है, जिससे नेटवर्क स्थापित करने में कम समय लगता है।

    साथियों,

    आज भारत, टेलीकॉम और उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक है। भारत, जहां 120 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स हैं। भारत, जहां 95 करोड़ प्दजमतदमज न्ेमते हैं। भारत, जहां दुनिया का 40 परसेंट से अधिक का रियल टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है। भारत ने टेलीकॉम सेक्टर में जो रिफॉर्म्स किए, जो इनोवेशन किए, वो अकल्पनीय हैं, अभूतपूर्व हैं। इससे डेटा की कीमत बहुत कम हुईं।

    21वीं सदी में भारत की मोबाइल और टेलीकॉम यात्रा पूरे विश्व के लिए स्टडी का विषय है। दुनिया में मोबाइल और टेलीकॉम को एक सुविधा के रूप में देखा गया। लेकिन भारत का मॉडल कुछ अलग रहा है। भारत में हमने टेलीकॉम को सिर्फ कनेक्टिविटी का नहीं, बल्कि एक्विटी और अपॉर्चुनिटी का माध्यम बनाया। ये माध्यम आज गांव और शहर, अमीर और गरीब के बीच की दूरी को मिटाने में मदद कर रहा है।

    एक दशक पहले तक भारत में सिर्फ 2 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स थीं, आज 200 से ज्यादा हैं। आज हम पहले से 6 गुना ज्यादा मोबाइल फोन भारत में बना रहे हैं, आज हमारी पहचान एक मोबाइल एक्सपोर्टर देश की है। अब हम दुनिया को एक कंप्लीट मेड इन इंडिया फोन देने में जुटे हैं। हम भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पर भी बहुत बड़ा इंवेस्टमेंट कर रहे हैं।

    हमने देश के कोने-कोने में मोबाइल टावर्स का एक सशक्त नेटवर्क बनाया है ताकि हर घर कनेक्ट हो। जो हमारे जतपइंस ंतमंे हैं, ीपससल ंतमंे हैं, इवतकमत ंतमंे हैं, वहां बहुत कम समय में ही हजारों मोबाइल टावर्स लगाए गए। हमने रेलवे स्टेशन्स और दूसरे पब्लिक प्लेसेज पर वाई-फाई की सुविधाएँ दीं। भारत ने सिर्फ 10 साल में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी से भी आठ गुना है।

    साथियों,

    यह तकनीकी और संचार का युग है। आपको तकनीकी और संचार शक्ति का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए करना है। डिजिटल समावेशन डिजिटल इंडिया का सार है। ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ लक्ष्य को प्राप्त करने में आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। आपका लक्ष्य भारत को दूरसंचार उपकरण विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना होना चाहिए। ऐसा करने के लिए, आपको घरेलू उद्योग के सामने आने वाली प्रौद्योगिकी समस्याओं की पहचान करने और उन्हें सुधारने में सक्षम होना चाहिए।

    जन सामान्य, अधिकारियों से एक विशेष आचार व्यवहार की अपेक्षा करते हैं। मैं आपसे यह आग्रह करूंगा कि आप हमेशा सेवा की गरिमा को केवल कार्यालय में नहीं, बल्कि उसे अपने सार्वजनिक जीवन में भी बनाए रखें। आपको समाज में अपनी सभी भूमिकाओं के बारे में सचेत रहना होगा, आपको नागरिक केंद्रित रहना होगा और सेवा की गरिमा को सर्वाेपरि रखना होगा।

    एक सिविल सेवक के रूप में, आपको भारत के लोगों के लिए काम करना होगा। ऐसे लोग जिन्हें सरकार की जरूरत अधिक है, वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, सामाजिक रूप से वंचित हैं और राजनीतिक रूप से असमर्थ हैं। आपको यह सोचना होगा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग इन समूहों के लाभ के लिए कैसे किया जा सकता है।

    दूरसंचार क्षेत्र एक बहुत ही गतिशील क्षेत्र है जहां प्रौद्योगिकियां बहुत तेजी से बदल रही हैं। इसलिए, आपको दुनिया भर के नवीनतम तकनीकी विकास के साथ अपने ज्ञान को लगातार अद्यतन करना होगा। आपको डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ निर्बाध कवरेज प्रदान करने वाला एक मजबूत, सुरक्षित और अत्याधुनिक दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, जिससे देश के सामाजिक-आर्थिक सतत विकास को गति मिल सके।

    आप सभी प्रशिक्षु अधिकारी, ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के ध्वजवाहक हैं, इसलिए आपको ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ के मंत्र को हमेशा अपने दिल और दिमाग में रखना चाहिए और यह आपकी सभी गतिविधियों में प्रतिबिंबित भी होना चाहिए। मेरा आपसे आग्रह है कि धरातल पर अपने निर्णयों में राष्ट्र हित एवं राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को अवश्य ध्यान में रखें।

    मैं युवा अधिकारियों से यह आग्रह करूंगा कि आप कार्य संस्कृति में बदलाव लाएं तथा सिविल सेवक के रूप में सभी के लिए सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।

    एक सिविल सेवक के रूप में, संविधान के दायरे में रहते हुए, आप बहुत उच्च आचरण, ईमानदारी और व्यवहार का स्तर बनाए रखते हुए कर्मयोगी बनने का प्रयास करें ताकि आप देश वासियों का विश्वास अर्जित कर सकें। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।

    मैं एक बार फिर यहाँ उपस्थित सभी अधिकारियों और प्रशिक्षुओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं आप सभी को एक सफल करियर के लिए अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।
    जय हिन्द!