24-12-2024 : भारत रत्न पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन के पूर्व दिवस पर आयोजित नेत्र रोग जागरूकता गोष्ठी में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन के पूर्व इस शुभ बेला पर आयोजित नेत्र रोग जागरूकता गोष्ठी एवं मोतियाबिंद आॅपरेशन सप्ताह के उद्घाटन कार्यक्रम में आपके मध्य पहुंच कर मुझे प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से गरिमा प्रदान करने के लिए, मैं आप सभी का हृदय से अभिनंदन करता हूँ।
कल से शुरू हो रहे इस चिकित्सा कैंप के अंतर्गत 16 संस्थानों में मोतियाबिंद का निःशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। इसके साथ-साथ मिलिट्री हॉस्पिटल देहरादून में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए निःशुल्क कैंप आयोजित होगा, जिससे हमारे कई पुरुष सैनिक और उनके परिजन लाभान्वित होंगे।
मेरा सभी लोगों से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में आकर इस नेत्र शिविरों का लाभ उठाएं, साथ ही इन निःशुल्क नेत्र शिविरों के व्यापक प्रचार एवं प्रसार में अपनी भूमिका अदा करें।
‘‘आँखें हैं अनमोल’’-दृष्टि का उपहार: जीवन का आधार। यह स्लोगन ही अपने आप में दृष्टि की महत्ता को बयां कर रहा है। वास्तव में दृष्टि हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उपहार है। आँखें केवल देखने का साधन नहीं, बल्कि जीवन को अनुभव करने और उसे समझने का आधार हैं। दृष्टि के बिना, जीवन की कई खूबसूरत चीजों की अनुभूति नहीं हो सकती है।
हमारे देश में मोतियाबिंद की बीमारी अन्धता का एक प्रमुख कारण है। लगभग दो तिहाई अन्धापन मोतियाबिंद के कारण होता है। इस विषय पर हे0न0ब0 उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय द्वारा इस गोष्ठी का आयोजन तथा एक सप्ताह तक मुफ्त शल्य क्रिया का कार्यक्रम आयोजित किया है। उनके द्वारा की गई इस पहल की मैं भरपूर प्रशंसा करता हूँ।
यह चिंता का विषय है कि भारत में दृष्टि संबंधित बीमारियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, खासकर युवाओं, बुजुर्गों और गरीबों के बीच। दृष्टिहीनता या कम दृष्टि केवल एक शारीरिक समस्या नहीं है, बल्कि यह लोगों के जीवन में आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न करती है। इसके कारण कई लोग आत्मनिर्भरता से वंचित हो जाते हैं।
साथियों!
हमें आँखों की देखभाल और उनके प्रति जागरूकता को बढ़ाने पर जोर दिए जाने की जरूरत है। आज ‘‘आयुष्मान भारत’’ योजना से गरीबों और कमजोर वर्गों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिल रही है। इसके तहत नेत्र रोगों के इलाज और ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। लोगों को उचित समय पर नेत्र चिकित्सा और परामर्श मिल सके इस दिशा में व्यापक प्रयास किए जाने चाहिए।
गाँवों में नेत्र चिकित्सा की सुविधाएँ पहुँचाना, हमारी प्राथमिकताओं में होना चाहिए। हमें टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ नेत्र चिकित्सा सेवाएँ बढ़ाने की जरूरत है।इसके अलावा, दूर दराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त नेत्र शिविरों का आयोजन और समय-समय पर स्कूलों में बच्चों की दृष्टि परीक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
मेरा मानना है कि दृष्टि से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए लोगों को अपनी दिनचर्या में आँखों की देखभाल को शामिल करना होगा। आज की डिजिटल दुनिया में कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के अत्यधिक उपयोग से हमारी आँखों पर, खासकर बच्चों और युवाओं की आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए, नियमित नेत्र परीक्षण और सही आहार, जिसमें ‘‘विटामिन ए’’ और अन्य पोषक तत्व शामिल हों, अत्यंत आवश्यक हैं।
दृष्टिहीनता की व्यापकता में कमी लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने वर्ष 1976 में ‘‘राष्ट्रीय अन्धता निवारण कार्यक्रम’’ प्रारम्भ किया था। जिसके अन्तर्गत सभी ‘‘मोतिया बिंद’’ के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इस प्रयास के कारण पिछले 48 वर्षों में काफी सफलता मिली है, लेकिन डायबिटीज, ब्लड प्रेशर तथा रेटिना की समस्या के कारण अभी भी काफी लोग दृष्टि बाधित हो जाते हैं। साथ ही प्रतिवर्ष बढ़ रहे मोतियाबिंद के मरीज अब भी हमारे लिए एक चुनौती हैं।
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है, जहां नेत्र स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। नेत्र रोग, चाहे वह मोतियाबिंद हो, ग्लूकोमा, या रेटिनोपैथी, इनसे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। कई मामलों में इन बीमारियों को समय पर पहचान और उपचार न मिल पाने के कारण लोग अपनी दृष्टि खो बैठते हैं। यह स्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि परिवार और समाज पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।
साथियों!
नेत्र स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। कई लोग नेत्र समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं या उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, जब तक कि स्थिति गंभीर न हो जाए। आज की इस गोष्ठी का उद्देश्य यही है कि हम नेत्र स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाएं और लोगों को समय पर नेत्र जांच कराने के लिए प्रेरित करें।
नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकासों का लाभ जनता तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। लेजर सर्जरी, आई ट्रांसप्लांट, और आधुनिक दवाओं की उपलब्धता ने नेत्र चिकित्सा को नए आयाम दिए हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि आधुनिक तकनीक सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि इसका लाभ छोटे कस्बों और गांवों में रहने वाले लोगों को भी मिले।
नेत्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमें सामूहिक प्रयास की जरूरत है। इसमें सरकार, निजी संस्थान, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, और समाजसेवी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। इस दिशा में कई गैर-सरकारी संगठन (छळव्े) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो नेत्र शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। मैं ऐसे सभी संगठनों को धन्यवाद देता हूँ, जो इस नेक कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ हैं। नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में भी उनकी भूमिका अति महत्वपूर्ण है। मैं उन सभी डॉक्टरों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जो पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। साथ ही, मैं अपील करता हूँ कि आप सभी अपने अनुभव और ज्ञान को इस क्षेत्र में और भी उन्नत बनाएं, ताकि मरीजों को सर्वाेत्तम इलाज मिल सके।
नेत्र स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, यह एक सामाजिक मुद्दा भी है। एक स्वस्थ दृष्टि के बिना हम अपने जीवन की समृद्धि और समाज की उन्नति को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए, हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति नेत्र रोगों से पीड़ित न हो और सभी को सही समय पर इलाज मिल सके।
इस कार्यक्रम को सरकारी एवं गैरसरकारी स्तर पर सम्मिलित प्रयास से सफल बनाने का प्रयास करने की आवश्यकता है। मैं इस दिशा में आपके द्वारा किए जा रहे सामूहिक प्रयासों की सफलता की कामना करता हूँ।
आँखें अनमोल हैं, और इनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है। आइए! हम सभी मिलकर नेत्र रोग जागरूकता अभियान को एक जन आंदोलन बनाएं, ताकि हर व्यक्ति स्वस्थ दृष्टि के साथ जीवन का आनंद उठा सके।
जय हिन्द!