21-12-2024 : राष्ट्रीय सैनिक संस्था के 17वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन।
जय हिन्द!
राष्ट्रीय सैनिक संस्था के 17वें राष्ट्रीय सम्मेलन के सुअवसर पर राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित अपने परिवार जनों के बीच इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होने पर मुझे अपार प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
समाज से बुराइयों का उन्मूलन, पूर्व सैनिकों का कल्याण, शहीदों के परिवारों का सम्मान और देशभक्ति का पुनरुत्थान, इस संस्था के ये पवित्र उद्देश्य वास्तव में राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना से ओत-प्रोत हैं। मुझे बेहद खुशी है कि यह संस्था हमारे असंख्य गौरव सेनानियों और देशभक्त नागरिकों को एकता के सूत्र में बांध रही है। देश भक्ति की भावना से प्रेरित यहां उपस्थित परिजनों को मैं हृदय से नमन करता हूँ।
मेरे परिवार जनों,
भारतीय सेना का एक लंबा और शानदार इतिहास रहा है। हमारी राष्ट्रीय चेतना, संस्कृति, इतिहास और परंपराओं की रक्षा के लिए हमारी सेना राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना से सदैव तत्पर रहती है। भारतीय सेना के साथ भारत का हर नागरिक हमेशा खड़ा है। मेरा मानना है कि राष्ट्र सेवा और राष्ट्र भक्ति भारत के हर नागरिक का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।
उत्तराखण्ड के नागरिकों का भारतीय सेनाओं के साथ एक लंबा और गौरवशाली संबंध रहा है। यहाँ के लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आपको देश की सुरक्षा के लिए समर्पित किया है। इस धरती के कितने ही वीर सपूतों ने देश के लिए अपने सर्वाेच्च बलिदान दिए हैं। यहाँ लगभग हर परिवार हमारी सेनाओं के माध्यम से मातृभूमि की सेवा में जुटा है, जो हम सभी के लिए गर्व और सम्मान की बात है।
आज के इस कार्यक्रम की थीम, “नगर पालिका से लेकर संसद तक पूर्व सैनिकों को मनोनीत किया जाए”। निःसंदेह यह राष्ट्रीय सैनिक संस्था का, गौरव सेनानियों के सामथ्र्य पर विश्वास और उनके कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मेरा मानना है कि राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र प्रथम की भावना से प्रेरित अनुशासित, कत्र्तव्यनिष्ठ और प्रशिक्षित, गौरव सेनानी हर क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करते हुए सफल नेतृत्व दे सकते हैं।
मेरे परिवार जनों,
मुझे अपने देश की गौरवशाली सेना में उप थल सेना अध्यक्ष के पद पर कार्य करते हुए देश सेवा का पुनीत अवसर मिला है। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि अब मुझे राज्यपाल के रूप में देवभूमि उत्तराखण्ड की सेवा का मौका मिला है। उत्तराखण्ड देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। दो देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण भारत के लिए इस राज्य का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है।
उत्तराखण्ड की एक लंबी सीमा चीन (तिब्बत) से लगती है। चीन की तरफ से इस सीमा में कई बार घुस पैठ हो चुकी है और हर बार हमने चीन को करारा जबाब दिया है। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, यहाँ के पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए उत्तराखण्ड की सीमाओं की रक्षा, ये तीनों ही आज उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए अहम है।
मेरा मानना है कि सामाजिक बुराइयाँ, समाज का एक अँधेरा पहलू है, जो समाज की नींव को कमजोर करती हैं, प्रगति में बाधा डालती हैं और अन्याय को बढ़ावा देती हैं। समाज से गरीबी, असमानता, भ्रष्टाचार, भेदभाव और अपराध, इन तमाम बुराइयों को मिटाने के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है, जिसमें सरकारें, समुदाय और व्यक्ति मिलकर काम करें। मैं इस दिशा में राष्ट्रीय सैनिक संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करता हूँ।
क्या हम वाकई में एक अच्छे नागरिक होने के सारे नियम समझते हैं। नागरिक होना ही गर्व करने के लिए काफी नहीं है। मैं समझता हूँ कि नागरिक होने पर हमें तब ज्यादा गर्व होगा जब हम जीवन में संस्कारों को महत्व देंगे और संस्कार, शिष्टाचार तथा नैतिक मूल्यों को समझेंगे।
शिक्षा का लक्ष्य चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए वहाँ के नागरिकों का नैतिक और चारित्रिक विकास भी जरूरी है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी पीढ़ी के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ ही उनमें अच्छे संस्कार पनपाएं, जिससे उनका चारित्रिक विकास हो सके और वे राष्ट्र सेवा में अधिक योगदान दे सकें।
मेरे परिवार जनों,
भारत अनेक विविधताओं से भरा हुआ देश है। विविधता में एकता यही हमारी विशेषता है। यह हमारी सदियों पुरानी परंपरा है, राष्ट्रीय एकता भारत की शक्ति का मूल आधार है। हमारा देश अपनी भौगोलिक सीमा से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधताओं के बावजूद एक राष्ट्र के रूप में एकजुट है।
देश की एकता और अखंडता बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। हम भाषा, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर किसी से भेद न करें। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और एकजुट होकर राष्ट्र को आगे बढ़ाने में योगदान करना चाहिए।
मैं समाज के हर व्यक्ति से आग्रह करता हूँ कि हम सभी देश की एकता और अखंडता को बनाएं रखने के लिए आगे आएं। हमारी एकजुटता और हमारी सामूहिक शक्ति ही हमें हर चुनौती से पार कर सकती है। एकता के बल पर ही हम भारत को श्रेष्ठ भारत बना सकते है, आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं, समृद्ध भारत बना सकते हैं और विश्व गुरु भारत का स्वप्न साकार कर सकते हैं।
सैनिकों के प्रति हर भारतीय के दिल में एक विशेष स्थान है। हमारे सैनिक और पूर्व सैनिक परिवार, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठ कर केवल राष्ट्र निर्माण की सोच रखते हैं। वे अपने कर्तव्यों को पूरी जिम्मेदारी और प्रभावशाली रूप से पूरा करते हैं, क्योंकि वे यह अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि राष्ट्र सुरक्षित है, तो सभी कुछ सुरक्षित है। इससे उन्हें हर चुनौती का सामना करने के लिए नैतिक बल मिलता है।
आज देश में रक्षा क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधार हो रहे हैं। भारत मुख्य रूप से रक्षा उपकरणों का आयात करने वाले देश से एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश के रूप में उभर रहा है। पिछले दशक में रक्षा निर्यात में तीस गुना वृद्धि हुई है। सैनिकों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बेहतरीन कार्य कर रही हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लागू की गई योजनाएं सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने में सहायक साबित हो रही हैं।
लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करने से लेकर हेल्थ केयर और पुनः रोजगार प्रदान करने तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कई कल्याणकारी निर्णय लिए हैं।
वन रैंक वन पेंशन को लागू करने का निर्णय लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने और अपने सैनिकों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता प्रकट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। आप सभी को यह जानकर खुशी होगी कि पिछले एक दशक में, 25 लाख से अधिक पेंशनभोगी और पेंशनभोगी परिवार इस ऐतिहासिक पहल से लाभान्वित हुए हैं।
हमारा संकल्प राष्ट्र प्रथम है। राष्ट्र की शुरुआत उसकी सीमाओं से होती है। इसलिए, सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास देश की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में से एक है। वाइब्रेंट विलेज योजना के माध्यम से, सीमावर्ती गांवों को एक गतिशील और जीवंत भारत को दर्शाने के लिए विकसित किया जा रहा है। केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तराखण्ड के 51 वाइब्रेंट गांवों का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है।
साथियों,
हमारा राष्ट्र जीवंत चेतना है जिसे हम मां भारती के रूप में पूजते हैं। हमारे जवानों के तप और त्याग के कारण ही आज देश सुरक्षित है। देशवासी सुरक्षित हैं। यह सत्य है कि सुरक्षित राष्ट्र ही प्रगति कर सकते हैं। आज जब हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं तो इसमें हमारे सैनिकों का भी बहुत बड़ा योगदान है।
आज मैं इस कार्यक्रम में आया हूँ वह इसलिए नहीं कि मैं राष्ट्रीय सैनिक संस्था परिवार का सदस्य हूँ, बल्कि इसलिए कि मेरी दृष्टि में राष्ट्रीय स्तर पर गौरव सेनानियों और देश भक्त नागरिकों का इस संगठन जैसा कोई दूसरा संगठन नहीं है, जो राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राष्ट्रीय सैनिक संस्था की उत्तराखण्ड इकाई के मेजर जनरल एम. एल. असवाल, कर्नल एम. के. शर्मा, वेटरन बी. पी. शर्मा, श्रीमति सीमा त्यागी और श्वेता तलवार द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए, मैं आप सभी का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
आज के इस कार्यक्रम में जिन लोगों को सम्मानित किया गया है, मैं उन्हें हृदय से बधाई देता हूँ। हम अपने-अपने कार्य क्षेत्र में नेशन फस्र्ट की भावना से कार्य करते हुए सर्व श्रेष्ठ योगदान देकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे, इसी आशा और विश्वास के साथ आप सभी का अभिवादन करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!