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    29-06-2024 : उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के गैप एनालिसेस विषय पर माननीय राज्यपाल महोदय का भाषण।

    प्रकाशित तिथि: जून 29, 2024

    जय हिन्द!

    आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर जब हम उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के गैप एनालिसेस पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं, स्वास्थ्य संबंधी इस अहम मुद्दे पर चर्चा में, आप सभी हेल्थ एक्सपर्ट के साथ शामिल होने पर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।

    नागरिकों की फिटनेस से राष्ट्र की खुशहाली में हमारे हेल्थ सैक्टर का बहुत बड़ा योगदान है, बहुत बड़ी भूमिका है। लोगों के जीवन में खुशहाली लाना, उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए कार्य करना ये ईश्वर की ओर से हमको दी गई सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

    हम सभी जानते हैं कि स्वास्थ्य समृद्ध समाज का आधार है, स्वस्थ नागरिक राष्ट्र की अमूल्य पूंजी हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने हेल्थ सिस्टम का निरंतर मूल्यांकन करें, और उसमें जरूरी सुधार करें ताकि अपने नागरिकों की हेल्थ संबंधी सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके।

    उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में भिन्न-भिन्न चुनौतीपूर्ण बाधाएं हैं। देवभूमि उत्तराखंड सुंदर प्राकृतिक छटा और जीवंत समुदायों का घर है, लेकिन जनसंख्या घनत्व एवं दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच समेत यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति में कई चुनौतियाँ भी हैं।

    हाल ही में हमारे स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक गैप एनालिसेस के अध्ययन के रिजल्ट बहुत ही स्पष्ट, दिशा-निर्देशक और चेताने वाले हैं। यह अध्ययन हमारे हेल्थ सिस्टम के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों की कमियों को उजागर करता है, जिनमें निश्चित ही सुधार की आवश्यकता है।

    यह चिंता का विषय है कि आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। यह विडंबना है कि आज भी कुछ क्षेत्रों में तो लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

    मुझे लगता है कि प्रदेश के मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं को आधुनिक मानकों के अनुसार अपग्रेड और मेंटीनेंस करने की आवश्यकता है।

    यह चिंता की बात है कि राज्य के कई हिस्सों में आज भी डॉक्टरों, नर्सों और पेरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। खासकर दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में यह कमी अधिक है।

    प्रदेश में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और सपोर्ट सिस्टम के कारण इन दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य कर्मियों को बनाए रखने का कार्य हमारे लिए लगातार चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

    अक्सर देखा गया है कि दूरस्थ क्षेत्रों में इमरजेंसी हेल्थ सर्विसेज की आपूर्ति में खराब रोड़ कनेक्टिविटी बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करती है।

    हालांकि टेलीमेडिसिन सेवाएं, इस गैप को भर सकती हैं, लेकिन इस सर्विस को अभी तक व्यापक रूप से लागू या उपयोग में नहीं लाया जा सका है।

    मेरा मानना है कि लोगों को प्रिवेन्टिव केयर और हेल्दी लाइफ स्टाइल के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए और अधिक हेल्थ एजुकेशन और अवरनेस कार्यक्रमों की आवश्यकता है।

    प्रायः देखा गया है कि कई समुदायों को अभी भी सरकार द्वारा उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और उन्हें प्राप्त करने के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।

    हमारे कई परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति आड़े आती है। चिकित्सा सेवाओं के लिए जेब से होने वाला खर्च कई परिवारों के लिए एक बड़ा बोझ है, जो कि सोचनीय है।

    इसके लिए यह जरूरी है कि बीमा कवरेज और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का विस्तार कर उन्हें अधिक सुगम और सुलभ बनाया जाए।

    मुझे लगता है कि हेल्थ सर्विसेज के इन सभी गैप्स को दूर करने के लिए बहु आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार और निजी क्षेत्रों के साथ-साथ सक्रिय सामुदायिक भागीदारी भी आवश्यक है।

    इसके अलावा हमें स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। हमें ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण और अपग्रेडिंग में निवेश करना होगा। साथ ही सभी स्वास्थ्य केंद्रों को आवश्यक चिकित्सा उपकरण और आपूर्ति के साथ सुसज्जित करना होगा।

    मुझे लगता है कि हमें दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन देने के साथ ही डॉक्टरों, नर्सों और पेरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की कारगर नीति को अपनाने की आवश्यकता है।

    मेरा मानना है कि योग्य स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विस्तार देने की भी आवश्यकता है।

    इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की समय पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए बेहतर सड़क नेटवर्क और परिवहन सिस्टम को मजबूत करना जरूरी है।

    हमें दूरस्थ परामर्श और फैलो अप केयर प्रदान करने के लिए टेलीमेडिसिन पहल का विस्तार करने की आवश्यकता है।

    हमें प्रिवेंटिव केयर और हेल्दी लाइफ स्टाइल पर केंद्रित व्यापक हेल्थ अवर्नेस अभियानों की भी शुरुआत करनी चाहिए।

    हमें उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और उनका उपयोग करने के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए सामुदायिक आधारित कार्यक्रमों को मजबूत करना चाहिए।

    हमें सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की पहुँच और दक्षता को बढ़ाना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के लिए जेब से होने वाले खर्च के बोझ को कम करने के लिए वित्तीय सहायता कार्यक्रमों की शुरुआत करनी चाहिए।

    साथियों,

    मेरा मानना है कि हमारे नागरिकों का स्वास्थ्य और कल्याण सर्वाेपरि है। हम हेल्थ सिस्टम की खामियों को दूर करके, यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उत्तराखंड का प्रत्येक निवासी वह गुणवत्तापूर्ण हेल्थ सर्विसेज प्राप्त कर सके, जिसका वह हकदार हैं। मैं मानता हूँ कि यह हम सभी की एक सामूहिक जिम्मेदारी है जो समर्पण, नवाचार और दृढ़ प्रतिबद्धता से ही संभव है।

    आइए, हम सभी मिलकर एक स्वस्थ एवं सशक्त उत्तराखंड और खुशहाल एवं आयुष्मान भारत के निर्माण में योगदान करें। हमारे मजबूत हेल्थ सिस्टम की यह यात्रा हमारे सभी नागरिकों के लिए उज्ज्वल भविष्य की यात्रा है।

    हमारे गांवों में, कस्बों में सुदूर पहाड़ों में कोई भी व्यक्ति रोगी और दुःखी न रहे इसके लिए सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए बहुत बड़ा अभियान चलाने की पहल करें। यदि गांव स्वस्थ होगा, तो भारत स्वस्थ होगा। और स्वस्थ भारतीयों के बल पर हमारा आत्म निर्भर भारत, विकसित भारत और विश्व गुरु भारत का संकल्प साकार हो सकेगा।

    जय हिन्द!