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    18-10-2023 : राजभवन देहरादून में आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम की वर्षगांठ पर माननीय श्री राज्यपाल महोदय का संबोधन

    प्रकाशित तिथि: अक्टूबर 18, 2023

    राजभवन देहरादून में आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम की वर्षगांठ पर माननीय श्री राज्यपाल महोदय का संबोधन
    (18 अक्टूबर, 2023)
    जय हिन्द!
    मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तगण उपस्थित समस्त अधिकारीगण, अतिथिगण, प्रेस एवं मीडिया के प्रतिनिधिगण!
    सूचना का अधिकार अधिनियम की 18वीं वर्षगांठ पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!
    नागरिकों की शासन में भागीदारी किसी भी लोकतंत्र का मूल मंत्र है। नागरिकों के रूप में केवल चुनावों के वक्त ही नहीं बल्कि नीतिगत निर्णयों, कानूनों और योजनाएं बनाए जाने के वक्त तथा परियोजनाओं और गतिविधियों का क्रियान्वयन करते समय भी दैनिक आधार पर भागीदारी करने की जरूरत होती है।
    जनसहभागिता न केवल शासन की गुणवत्ता में वृद्धि करती है बल्कि सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देती है।
    इसी सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य लोक प्राधिकारियों की कार्य प्रणाली को अधिकतम पारदर्शिता बनाना, सरकार के उत्तरदायित्व और निष्पादन में सुधार, निर्णय निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों और सरकार के बीच भागीदारी बढ़ाना और भ्रष्टाचार को रोकना, लोक प्राधिकारियों के नियन्त्रण में धारित सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करना है।
    सूचना का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद-19 (1) (क) में निहित वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अन्तर्गत आता है।
    मा० उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1975 में उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राजनारायण एवं अन्य के मामले में यह मत प्रकट किया था कि जानने का अधिकार ऐसा अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 19(1) के अधीन गारन्टीकृत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार से उद्भुत होता है।
    सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत नागरिक को सूचना पाने का महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त है जिसके माध्यम से वह सूचना प्राप्त कर अपने विचार प्रकट कर सकता है अथवा किसी कानूनी प्रक्रिया अथवा अपने शोध कार्य में भी उसका उपयोग कर सकता है।
    इस अधिनियम के अन्तर्गत की जाने वाली कार्यवाही समयबद्ध प्रक्रिया है। इस अधिनियम की उपयोगिता के लिए लोक प्राधिकारियों का दायित्व और भी बढ़ जाता है।
    इस अधिनियम की अधिक से अधिक उपयोगिता के लिए अभिलेखों का रख-रखाव उचित ढंग से करना होता है, जिससे सूचना मांगे जाने पर सूचना निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत उपलब्ध करायी जा सके।
    यदि किसी व्यक्ति को समय सीमा के अन्तर्गत सूचना प्राप्त नहीं होती है तो उसे विभागीय अपील एवं सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत करने का अधिकार भी इस अधिनियम में दिया गया है।
    सूचना का अधिकार पूर्ण अधिकार नहीं है। इस अधिनियम के अन्तर्गत कुछ अपवाद भी हैं जिनके अन्तर्गत सूचना प्रकट किये जाने से मना किया जा सकता है।
    इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन में मुख्य रूप से लोक प्राधिकारी, लोक सूचना अधिकारी, विभागीय अपीलीय अधिकारी तथा सूचना आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है।
    प्रत्येक स्तर पर गंभीरता से नियमानुसार कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है जिससे जनसामान्य को देय सूचनाएं समय से प्राप्त होने में कठिनाई न हो। सूचना आवेदक के साथ सद्भाव पूर्वक कार्यवाही की जाए।
    मुझे अवगत कराया गया है कि उत्तराखण्ड राज्य में सूचना का अधिकार अधिनियम के लागू होने तथा उत्तराखण्ड सूचना आयोग की स्थापना से अब तक उत्तराखण्ड सूचना आयोग को कुल 55,088 द्वितीय अपीलध्शिकायतें प्राप्त हुयीं हैं जिनमें से 53,661 का आयोग स्तर से निस्तारण किया गया है। इसी अवधि में प्रदेश के समस्त लोक सूचना अधिकारियों को कुल 12,13,200 सूचना अनुरोध पत्र और विभागीय अपीलीय अधिकारियों को कुल 1,18,960 प्रथम अपील प्राप्त हुयीं।
    मुझे यह भी अवगत कराया गया है कि आयोग के द्वारा डाॅ० आर० एस० टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासनिक अकादमी, नैनीताल के सहयोग से राज्य के विभिन्न जनपदों में सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
    इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड प्रशासनिक अकादमी के सहयोग से जनपदों में मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण हेतु तैयार किये गये हैं उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि आयोग का कार्य सराहनीय है।
    उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तराखण्ड राज्य की जनता अपने सूचना का अधिकार की उपयोगिता के प्रति जागरूक है। उत्तराखण्ड राज्य में दूरस्थ जनपदों में भी इस अधिनियम की जागरूकता बढ़ाये जाने के प्रयास किये जाने आवश्यक हैं।
    इसके साथ यह भी आवश्यक है कि लोक प्राधिकरण में कार्यरत लोक सूचना अधिकारियों और विभागीय अपीलीय अधिकारी का प्रशिक्षण भी कराया जाए जिससे वे इस अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वन कर सकें।
    इस अधिनियम के अन्तर्गत लोक प्राधिकारियों के स्तर से सूचनाओं के स्वःप्रकटन का भी अत्यन्त महत्वपूर्ण प्राविधान है।
    यदि सभी लोक प्राधिकारी उक्त प्राविधान के अनुपालन में अधिक से अधिक सूचनाओं को स्वःप्रकट कर देते हैं तो इससे न केवल जनसामान्य को सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी जिससे सूचनाओं को एकत्र कर उपलब्ध कराये जाने में लगने वाले श्रम व समय की बचत होगी।
    लोक प्राधिकारी को यह भी ध्यान देना होगा कि अधिकतर व्यक्ति जो सूचना का अधिकार के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हैं इसके पीछे उनकी कोई न कोई समस्या छुपी होती है।
    यदि राजकीय कार्यालयों की कार्यवाही नियमानुसार हो तो इससे भी सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत व्यक्ति को आयोग में आने की आवश्यकता नहीं होगी।
    इसलिए यह भी आवश्यकता है कि अधिनियम के तहत प्राप्त प्रार्थना पत्र का लोक सूचना अधिकारी और विभागीय अपीलीय अधिकारी के स्तर पर निस्तारण करते समय आवेदक की मूल समस्या का ज्ञान होने पर यथासम्भव उसकी समस्या का नियमानुसार निस्तारण किये जाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
    मुझे यह भी अवगत कराया गया है कि उत्तराखण्ड राज्य में शहरी क्षेत्र से 90 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र से 10 प्रतिशत नागरिकों के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अपने अधिकार का उपयोग किया गया है जिसमें पुरुषों का प्रतिशत 91 और महिलाओं का प्रतिशत 09 रहा है। अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड राज्य की महिलाएं काफी सक्रिय हैं किन्तु इन आंकडों से स्पष्ट है कि उत्तराखण्ड राज्य में महिलाओं के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग बहुत कम किया गया है। इसलिए महिलाओं के मध्य अधिनियम की जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है जिससे कि वे और अधिक सशक्त हो सकें।
    इसके अलावा उत्तराखण्ड राज्य में 80प्रतिशत सूचना के अनुरोध पत्र जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर एवं नैनीताल से प्राप्त हुए हैं। इससे प्रतीत होता है कि इन जनपदों में लोगों की समस्याएं अधिक हैं। इन जनपदों में अधिक कार्य करने की आवश्यकता तो है ही वहीं राज्य के अन्य जनपदों में भी सूचना का अधिकार अधिनियम की जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है जिससे लोग अधिक से अधिक अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें।
    अंत में एक बार फिर से सूचना का अधिकार अधिनियम की 18वीं वर्षगांठ की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जय हिन्द!